पुष्कर की बेटी अंकिता पाराशर ने RAS 2023 में हासिल की दूसरी रैंक, निभाया दिया मरते पिता से किया वादा

Ajmer Pushkar RAS Result News: राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) द्वारा घोषित RAS 2023 के अंतिम परिणाम में पुष्कर की अंकिता पाराशर ने पूरे राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त कर इतिहास रच दिया है। यह सफलता न केवल उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है, बल्कि 11 साल पहले कैंसर से जूझ रहे अपने पिता से किए गए उस वादे की पूर्ति भी है, जिसमें उन्होंने RAS अधिकारी बनने का संकल्प लिया था। अंकिता की इस उपलब्धि ने पूरे अजमेर जिले और पुष्कर शहर को गर्व से भर दिया है, जहां उनके घर पर जश्न का माहौल है।

अंकिता पाराशर का जन्म और पालन-पोषण पुष्कर में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय सत्यनारायण पाराशर राजकीय चिकित्सा सेवा में कार्यरत थे और हमेशा चाहते थे कि उनकी बेटी एक प्रशासनिक अधिकारी बने। 11 वर्ष पहले, जब पिता की जिंदगी की आखिरी सांसें गिन रही थीं, तब अंकिता ने उनसे वादा किया था, “पापा, मैं आपका सपना जरूर पूरा करूंगी।” पिता का निधन हो गया, लेकिन यह वादा अंकिता के लिए जीवन का लक्ष्य बन गया। उनकी मां मंजू पाराशर पुष्कर के राजकीय विद्यालय में तृतीय श्रेणी अध्यापिका हैं, जबकि भाई विकास पाराशर पुष्कर के सरकारी अस्पताल में सेवारत हैं। परिवार के इस सहयोग ने अंकिता को हर चुनौती का सामना करने की ताकत दी।

अंकिता का सफर आसान नहीं रहा। उन्होंने RAS परीक्षा के लिए चार प्रयास किए। तीसरे प्रयास में वे RAS एलाइड सर्विस में चयनित हुईं और वर्तमान में जयपुर जिले के दूदू में ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) के पद पर कार्यरत हैं। अपनी नौकरी की जिम्मेदारियों को निभाते हुए उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। दिनभर काम के बाद रात में पढ़ाई करना, मॉक टेस्ट देना और खुद को मोटिवेट रखना उनकी रणनीति का हिस्सा था। अंकिता बताती हैं, “नौकरी के साथ पढ़ाई करना आसान नहीं था। कई बार थकान से हार मानने का मन हुआ, लेकिन पिता से किया वादा याद आ जाता था। वो वादा ही मेरी सबसे बड़ी ताकत बन गया।”

RAS 2023 के परिणाम में अजमेर जिले का दबदबा रहा। पहला स्थान डूंगरिया कलां गांव के कुशल चौधरी ने हासिल किया, जबकि तीसरा स्थान किशनगढ़ के परमेश्वर चौधरी को मिला। अंकिता की सफलता पर पुष्कर में ढोल-नगाड़े बजाए गए, आतिशबाजी हुई और मिठाइयां बांटी गईं। अंकिता कहती हैं, “यह सिर्फ मेरी सफलता नहीं है, बल्कि मेरे पिता के सपने की पूर्ति है। मैं चाहती हूं कि लड़कियां अपने सपनों को छोटा न समझें। चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, अगर दिल से ठान लें तो रास्ते खुद बन जाते हैं।”

अंकिता की यह कहानी संघर्ष, समर्पण और संकल्प की मिसाल है। वे अब एक ईमानदार और समर्पित RAS अधिकारी बनकर राजस्थान की सेवा करना चाहती हैं। उनकी सफलता लाखों युवाओं, खासकर लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

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