अमेरिका और इजरायल में गाजा मानवाधिकार उल्लंघन के दस्तावेज लीक: पहली आधिकारिक स्वीकृति, लेकिन जवाबदेही अभी भी कोसो दूर

Washington/Jerusalem News: अमेरिकी विदेश विभाग के एक गोपनीय रिपोर्ट के लीक होने से गाजा पट्टी में इजरायली सेना द्वारा मानवाधिकारों के “सैकड़ों संभावित उल्लंघनों” का खुलासा हुआ है। यह पहली बार है जब अमेरिकी सरकार ने आधिकारिक रूप से इजरायली सैन्य इकाइयों पर इतने बड़े पैमाने पर गंभीर आरोपों को स्वीकार किया है। रिपोर्ट के अनुसार, इन उल्लंघनों की जांच में वर्षों लग सकते हैं, जबकि इजरायल को अमेरिका से सालाना 3.8 अरब डॉलर की सैन्य सहायता मिलती रहती है।

यह लीक इजरायल-हमास युद्ध के बीच आया है, जो अक्टूबर 2023 से चला आ रहा है और जिसमें गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 69,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। रिपोर्ट को अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर जनरल कार्यालय ने तैयार किया था, जो विदेशी सेनाओं के मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करता है। इसमें इजरायली सेना (आईडीएफ) की इकाइयों पर यातना, अतिरिक्त न्यायिक हत्याएं और अन्य गंभीर अपराधों के आरोप लगाए गए हैं।

लीक रिपोर्ट का सार: लीही कानून के तहत पहला परीक्षण
अमेरिकी अधिकारियों ने वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि रिपोर्ट में “कई सौ” संभावित उल्लंघन दर्ज हैं, जो लीही कानून के दायरे में आते हैं। यह कानून, सीनेटर पैट्रिक लीही के नाम पर, अमेरिकी सहायता को उन विदेशी इकाइयों तक पहुंचने से रोकता है जो मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं। रिपोर्ट को इजरायल-हमास युद्धविराम समझौते से ठीक पहले अंतिम रूप दिया गया था, जिसमें इजरायली बंधकों की रिहाई, फिलिस्तीनी कैदियों का आदान-प्रदान और सीमित मानवीय सहायता शामिल थी।

रिपोर्ट में उल्लेख है कि इजरायल के लिए एक “विशेष नौकरशाही प्रक्रिया” अपनाई जाती है, जो अन्य देशों की तुलना में जांच को लंबा खींचती है। इससे सवाल उठे हैं कि क्या अमेरिका अपनी सहायता नीति पर पुनर्विचार करेगा। पूर्व अमेरिकी अधिकारी महम जावेद ने कहा, “यह गाजा युद्ध लीही कानून का सबसे बड़ा परीक्षण है, लेकिन इजरायल को विशेष छूट मिलती रही है।”

इजरायल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसके सैनिक आत्मरक्षा में कार्रवाई कर रहे हैं। एक इजरायली प्रवक्ता ने टिप्पणी की, “हमारी सेना अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करती है, और ये आरोप पक्षपाती हैं।” हालांकि, रिपोर्ट में एक घटना का जिक्र है जिसमें 78 वर्षीय अमेरिकी नागरिक ओमार असद की हिरासत के दौरान मौत हो गई थी, जिसे इजरायली सेना ने “नैतिक विफलता” माना।

आंतरिक दबाव बढ़ा
इसी बीच, इजरायल में भी एक आंतरिक लीक सामने आया है, जिसमें सेना की रिपोर्ट्स में गाजा में नागरिकों पर अत्यधिक बल प्रयोग की बात कही गई है। हारेत्ज अखबार के अनुसार, ये दस्तावेज इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद से जुड़े हैं और वे फिलिस्तीनी आबादी को मिस्र के सिनाई में स्थानांतरित करने की पुरानी योजनाओं का उल्लेख करते हैं। यह लीक इजरायल की सरकार पर आंतरिक दबाव बढ़ा रहा है, जहां विपक्षी नेता बेंजामिन नेतन्याहू की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।

मानवाधिकार संगठनों ने लीक को “ऐतिहासिक मोड़” बताया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में कहा गया, “ये दस्तावेज साबित करते हैं कि गाजा में युद्ध अपराध हो रहे हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कार्रवाई करनी चाहिए।” दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन ने कहा कि वे “निश्चित निष्कर्षों” पर पहुंचने से पहले जांच पूरी करेगा।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
यूरोपीय संघ ने भी जून 2025 में एक लीक दस्तावेज जारी किया था, जिसमें इजरायल पर गाजा में मानवाधिकार दायित्वों का उल्लंघन करने के “संकेत” बताए गए। गार्जियन के अनुसार, यह दस्तावेज इजरायल-ईयू एसोसिएशन समझौते की समीक्षा का हिस्सा था, लेकिन तत्काल प्रतिबंधों की मांग नहीं की गई। फ्रांस और स्पेन जैसे देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो सीमित करने की मांग की, गाजा संकट का हवाला देते हुए।

एक्स (पूर्व ट्विटर) पर प्रतिक्रियाएं तीखी हैं। पत्रकार आरोन माटे ने लिखा, “अरब देशों ने सार्वजनिक निंदा की, लेकिन गुप्त रूप से इजरायल के साथ सहयोग बढ़ाया।” जबकि फिलिस्तीनी कार्यकर्ता सादेह अहमद ने शवों पर यातना के सबूतों का जिक्र किया।

जवाबदेही या जारी सहायता?
ये लीक गाजा संकट को नई बहस दिला रहे हैं, जहां युद्धविराम के बावजूद मानवीय सहायता बाधित है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जांच साबित हो जाती है, तो अमेरिका को इजरायल को सहायता रोकनी पड़ सकती है। लेकिन राजनीतिक दबावों के बीच, फिलिस्तीनियों के लिए न्याय दूर नजर आता है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने पहले ही इजरायली नेताओं पर युद्ध अपराधों की जांच शुरू कर दी है।

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