PPC 2024: परीक्षा के प्रेशर को कैसे कम करना है? पीएम मोदी ने बताया ये खास फॉर्मूला

PPC 2024:

 

  • नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मण्डपम में हो रहा है आयोजन
  • 2 करोड़े से अधिक स्टूडेंट्स ने किया है रजिस्ट्रेशन

PPC 2024: ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है. पीएम मोदी छात्रों के सवालों के जवाब दे रहे हैं. इस बीच कार्यक्रम की शुरुआत ही एग्जाम प्रेशर हैंडल करने के सवालों से हुई. पैरेंट्स से लेकर टीचर्स और बच्चों तक ने इस मुद्दे पर पीएम से बात की. जवाब में प्रधानमंत्री ने एग्जाम प्रेशर हैंडल करने के टिप्स दिए. वर्ष 2018 से शुरू हुए और हर साल बोर्ड परीक्षाओं से पहले आयोजित किए जाने वाले LIVE परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का इस साल 7वां संस्करण आयोजित किया जा रहा है, जिसका कि आयोजन नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मण्डपम में किया जा रहा है। साथ ही, इस कार्यक्रम को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर LIVE देखा जा सकता है।

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जानते हैं पीएम ने परीक्षा का प्रेशर हैंडल करने के लिए क्या टिप्स दिए.

परीक्षा की तैयारी में स्वास्थ्य कैसे बनाएं रखें?
लदाख के केंद्रीय विद्यालय की एक छात्रा तथा अरूणाचल प्रदेश की एक शिक्षिका द्वारा पूछे गए पढ़ाई और स्वास्थ्य को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि

छात्रों के सवाल: परीक्षा की तैयारी में स्वास्थ्य कैसे बनाएं रखें?
पीएम का जवाब: जैसे मोबाइल को रिचार्ज करना होता है वैसे ही शरीर को भी रिचार्ज करने की जरूरत होती है। पढ़ाई का मतलब यह नहीं कि और सब कुछ बंद। पढ़ाई के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी महत्व है। स्वस्थ मन के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है।

नियम से कुछ समय निकाले जब आप सनलाइट ले सकें। समय से सोने की जरूरत होती है। कम नींद स्वास्थ्य के लिए अनुचित है। संतुलित आहार लें। माता-पिता को भी चाहिए कि भोजन का ध्यान रखें। कम खर्च में भी संतुलित आहार उपलब्ध है। इसके साथ ही फिटनेस के लिए छात्रों को कसरत करनी चाहिए।

छात्रों के सवाल: परीक्षा के दौरान होने वाली गलतियों और तनाव का सामना कैसे करें?

पीएम का जवाब: परीक्षा के दौरान पैरेंट्स अपने बच्चे के साथ सामान्य दिनों की तरह बर्ताव करें। इससे उनमें तनाव परीक्षा के लिए जाने से पहले ही शुरू हो जाता है। छात्र परीक्षा कक्ष में जाने के बाद स्वयं को पहले नॉर्मल करें। डीप ब्रीदिंग कर सकते हैं। एग्जाम हॉल में अनावश्यक तनाव लें।

परीक्षा में घबराहट का कारण स्वयं की सोच होती है। क्वेश्चन पेपर मिले के उसे ध्यान से पढ़ें। किसी प्रश्न के लिए कितना समय देना है, इसकी योजना बना सकते हैं।

परीक्षा की तैयारी में लिखने की अधिक से अधिक प्रैक्टिस करें। इससे परीक्षा में जल्दी लिखने की हड़बड़ी नहीं होगी। साथ ही, एग्जाम के दिन किसी साथ की लिखने की स्पीड से तनाव न लें।

शिक्षकों के सवाल: मै अपने छात्रों का परीक्षा के तनाव से कैसे दूर रखें और उन्हें प्रोत्साहित कैसे करें?

पीएम का जवाब: टीचर का स्टूडेंट का नाता क्लास के पहले ही दिन से ए्ग्जाम तक निरंतर बढ़ते रहना चाहिए। इससे परीक्षा के दिनों में तनाव की नौबत ही नहीं आएगी। शिक्षक छात्र से सिलेबस से आगे बढ़कर नाता जोड़ेगा तो परीक्षा के तनाव की स्थिति बनेगी ही नहीं। यदि शिक्षक वर्षभर छात्र से नाता जोड़ता है तो इससे उसमें एग्जाम स्ट्रेस नहीं होगा।

पीअर प्रेशर, कॉम्पटीशन से चिंता से कैसे बचे?
जीवन में चुनौती होनी ही चाहिए। प्रतियोगिता होनी चाहिए लेकिन यह हेल्दी कॉम्पटीशन होना चाहिए। परिवार के रोजमर्रा के जीवन में छात्रों की तुलना का बीज आगे चलकर जहरीला बीज बन जाता है। माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य अपने बच्चे की किसी से तुलना न करें। दूसरी तरफ छात्रों को हमें अपने दोस्त से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। बल्कि दोनों को एक दूसरे की हेल्प करनी चाहिए। दोनों की ताकत एक दूसरे को जोड़ेगी। दोस्त अपने से अधिक तपस्वी और तेजस्वी चुनने चाहिए और उनसे सीखने का प्रयास करना चाहिए।

बताए प्रेशर के प्रकार
इस बीच पीएम ने प्रेशर के प्रकार बताए. सबसे पहला प्रेशर वह होता है जो हम खुद से खुद के लिए क्रिएट करते हैं जैसे आज इतना पढ़ना है, इस दिन तक इतना कोर्स खत्म करना है, इतने बजे उठना है. जब हम ऐसे टारगेट पूरे नहीं कर पाते तो परेशान होते हैं. इसका इलाज ये है कि छोटे गोल बनाएं जो आप पूरे कर सकें. अगर सफल न हों तो परेशान न हों और फिर शुरुआत करें.

दूसरा प्रेशर वह होता है जो मां-बाप, परिवार या बड़े भाई-बहन बनाते हैं. बार-बार बच्चों को टोकना, दूसरों से उनकी तुलना करना, उन्हें तानें देना. जब मां चुप हो जाए तो पिता जी डांटने लगते हैं. कुल मिलाकर घर में ये कमेंट्री बंद नहीं होती. पीएम मोदी ने मां-बाप से रिक्वेस्ट की कि पैरेंट्स इस तरह के व्यवहार से बचें. बच्चों को अच्छा पॉजिटिव माहौल दें और उनकी तुलना किसी दूसरे बच्चे से न करें और ना ही दिन रात पढ़ने के लिए कहें.

समझ का अभाव
तीसरा और आखिरी प्रेशर होता है समझ के अभाव का. यानी ऐसे दबाव या प्रेशर जो इमेजिनेरी होते हैं. इनमें कोई सच्चाई नहीं होती और हम पूरे समय केवल डरते ही रहते हैं. जब मौका आता है तो हमें पता चलता है कि इसमें तो डरने की कोई बात ही नहीं थी इसलिए ऐसे प्रेशर से बचें. बिना प्रेशर के आप परीक्षाओं में बढ़िया कर सकेंगे.

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