Pollution: नोएडा। शहर की खराब हुई हवा बच्चों का भी दम घोट रही है। चाइल्ड पीजीआई की ओपीडी के साथ अस्थमा मरीजों के लिए चल रहे क्लिनिक में 50 प्रतिशत बच्चे बढ़ गए हैं। इसमें एक से डेढ़ साल के बच्चे भी हैं, जिनको सांस लेने में तकलीफ हो रही है। अस्पताल की इमरजेंसी के सभी बेड फुल है। इसमें 50 प्रतिशत सांस संबंधित बीमारी के भर्ती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अभी तीन महीने तक बच्चों का ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। वहीं, दूसरी ओर स्वास्थ्य केंद्रों पर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी चल रही है। छह स्वीकृत पद पर सिर्फ एक डॉक्टर हैं।
Pollution:
चाइल्ड पीजीआई की डॉक्टर शिप्रा अग्रवाल ने बताया, अभी प्रदूषण बढ़ने के साथ यह समस्या और बढ़ सकती है। आने वाले तीन महीनों तक बच्चों की सेहत को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। ओपीडी के अलावा, हर शुक्रवार को दोपहर दो बजे से चलने वाले अस्थमा स्पेशल क्लिनिक में पहले करीब 20 बच्चे आते थे, लेकिन अब इनका आंकड़ा 30 से 35 पहुंच गया है। ‘इमरजेंसी के डॉक्टर आशुतोष तिवारी ने बताया कि सांस से संबंधित बीमारी के मरीज 40 से 50 प्रतिशत बढ़ गए हैं। प्रदूषण का असर बच्चों पर भी देखने को मिल रहा है।
Pollution:
चाइल्ड पीजीआई पर बढ़ा भार
जिले में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर छह चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पद स्वीकृत हैं, लेकिन सिर्फ एक ही चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर नियुक्त है। खाली सीटों पर एमबीबीएस डॉक्टर से काम चलाया जा रहा है। ऐसे में मजबूरी में स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाले बच्चों को चाइल्ड पीजीआई रेफर किया जा रहा है। इस वजह से अस्पताल पर भार बढ़ गया है। इमरजेंसी से लेकर वॉर्ड सभी फुल भरे हैं।
रखें बच्चों का ध्यान
बच्चों को ज्यादा बाहर न लेकर जाएं। अगर जरूरी काम से बाहर लेकर जा रहे हैं तो मास्क लगाकर रखें।
अगर पहले से इलाज चल रहा है तो इस दौरान बिल्कुल बंद न करें। घर में धुआं, ऑलआउट, अगरबत्ती का इस्तेमाल करने से बचें।
ऐसे पहचाने बच्चे की बीमारी
अगर बच्चे की सांस तेज चल रही है। सांस लेने में जोर लगा रहा है। नाक फुलाकर सांस ले रहा है। पसलियों का चलना।