ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन( AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने गुजरात के दो जिलें आणंद और मेहसाणा के डीएम को पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के अधिकार सौंपे है। ओवैसी ने केंद्र के फैसले पर तंज कसते हुए कहा, नागरिकता देने का काम तो भारत में पहले से ही हो रहा अब नया क्या?
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिये कि वह पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का धर्म तटस्थ कानून बनाए। उन्होंने पहले लंबी अवधि का वीजा देते हैं और फिर उन्हें (अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों को) नागरिकता मिलती है। आपको तो इस कानून को धर्म-तटस्थ बनाना चाहिए। सीएए को एनपीआर और एनआरसी से जोड़ना होगा।
एआईएमआईएम चीफ ने आगे कहा कि सीएए को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से जोड़ा जाना है। सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है, देखते हैं क्या होता है।
केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर गुजरात के दो जिलों मेहसाणा और आणंद के कलेक्टरों को पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का अधिकार देने का फैसला किया है। मौजूदा वक्त में गुजरात के दो जिलों आणंद और मेहसाणा में पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइ रह रहे हैं। इन्हें नागरिकता देने का यह फैसला नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत लिया गया है। ओवैसी ने कहने की कोशिश की कि नए पैक्ट में पुरानी चीज को नया बताया जा रहा है।