जेल की मस्जिद में बाहरी लोगों की बढ़ती आमद से अफसर अलर्ट

meerut news जिला जेल के पास सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद में बाहरी लोगों के आने-जाने की संख्या बढ़ने लगी, जिससे जेल प्रशासन सतर्क हो गया। यह मस्जिद मूल रूप से जेल के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए बनाई गई थी। कुछ दिन पहले जेल अधीक्षक को सूचना मिली कि मस्जिद में गैरकानूनी तरीके से बाहरी लोग आने लगे हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरा था। शिकायत की जांच के बाद आरोप सही पाए गए और जेल अधीक्षक ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मस्जिद में गैरकानूनी रूप से रह रहे लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी। इस जिम्मेदारी को अब जेल के कर्मचारियों को सौंप दिया गया है।
मस्जिद की सफाई के लिए कभी-कभार आने वाले अब्दुल वाहिद ने धीरे-धीरे वहां रहना शुरू कर दिया और लोगों को नमाज के लिए बुलाने लगा। उसकी पत्नी और बच्चे भी मस्जिद में आ गए और वह खुद इमाम बन बैठा। जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा की जांच में यह सामने आया कि मस्जिद में भीड़ बढ़ रही थी, जिससे जेल की सुरक्षा प्रभावित हो सकती थी। 21 जुलाई को अब्दुल वाहिद को बुलाकर मस्जिद से हटाया गया। इसके बाद उसने एक वीडियो जारी कर जेल अधीक्षक पर जबरन हटाने और धमकी देने का आरोप लगाया।
इस मामले में आजाद अधिकार सेना ने अब्दुल वाहिद का समर्थन किया है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री देवेंद्र सिंह राणा ने दावा किया कि वह तीस वर्षों से मस्जिद की देखभाल कर रहा है और जेल अधीक्षक पर धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि मस्जिद की देखरेख के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा था और बाहरी तत्वों को बुलाया जा रहा था, जिससे जेल की सुरक्षा खतरे में पड़ रही थी। अब मस्जिद की जिम्मेदारी जेल विभाग के मुस्लिम कर्मचारियों को सौंपी गई है।

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