नोएडा । जीएसटी विभाग के एडिशनल कमिश्नर द्वारा जीएसटी विभाग के डोर टू डोर सर्वे नहीं होंगे, इस आदेश से उन व्यापारियों को राहत मिल गई है, जो जीएसटी का भुगतान करते हैं। केवल वे ही लोग जांच दायरे में आएंगे, जो बिना जीएसटी के कारोबार का संचालन कर रहे हैं।
आदेश के मुताबिक केवल 2, 3% फर्जी फर्मों की जांच होगी। शेष व्यापारियों को डरने की आवश्यकता नहीं है, न किसी भ्रम में रहने की जरूरत है। वे अपना कारोबार निर्भीकता पूर्वक संचालित करें। यह बात मीडिया को जारी एक बयान में उत्तर प्रदेश उद्योग प्रतिनिधिमंडल नोएडा इकाई के अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने कही है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल नोएडा इकाई के अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने बताया कि प्रांतीय अध्यक्ष बनवारीलाल कंछल इस बाबत जीएसटी विभाग के एडिशनल कमिश्नर से मिले थे, और व्यापारियों के ठिकानों पर छापे की कार्रवाई बाबत अवगत कराया था।
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श्री कुच्छल ने बताया कि 16 मई से 15 जुलाई 2023 तक जीएसटी चोरी रोकने के लिए छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। इसकी व्यापार प्रतिनिधि मंडल द्वारा कड़ी निंदा किया गया। साथ ही कहा गया कि भारत सरकार द्वारा जीएसटी संग्रह के आंकड़ों के मुताबिक व्यापारियों द्वारा सरकार को अपेक्षा से ज्यादा टैक्स दिया है। अत: छापों का कोई औचित्य नहीं है।उन्होंने कहा कि 26 मई 1979 को भी सर्वे छापों के खिलाफ व्यापार मण्डल ने विशाल आंदोलन चलाया था। एक सप्ताह तक पूरे प्रदेश में हड़ताल रही और हरिश्चन्द्र अग्रवाल पुलिस कीगोली से शहीद हो गये। व्यापारियों के आक्रोश को देखकर तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास ने सभी सर्वे छापों पर रोक लगा थी, जो अब तक कायम है। उन्होंने बताया कि जीएसटी नंबर जारी करने के पहले दुकान का किरायानामा मालिकाना रिकार्ड, आधार व पैन कार्ड की जांच होने के बाद ही पंजीकरण जारी किया जाता है। ऐसे में किसी भी प्रतिष्ठान में दोबारा जांच अनुचित है।
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उन्होंने बताया कि विभिन्न आंकड़ों के अनुसार फर्जी फर्मों की संख्या 5 प्रतिशत से भी कम है। सरकार जिन्हें फर्जी फर्मों बता रही हैं, वे सब केन्द्रीय जीएसटी में पंजीकृत हैं। उन्होंने कहा कि फर्जी फर्मों के गठन और संचालन को रोकने का प्रयास विभाग के अधिकारियों द्वारा कभी नहीं किया गया। अत: जीएसटी की चोरी का दायित्व ईमानदार व्यापारियों पर न होकर लापरवाह अधिकारियों पर किया जाना जरूरी है।