Noida woman lawyer detention case: नोएडा के सेक्टर-126 पुलिस थाने में एक महिला वकील को कथित तौर पर 14 घंटे तक अवैध हिरासत में रखने, यौन उत्पीड़न और यातना देने के गंभीर आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शुक्रवार (19 दिसंबर) को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी 2026 को होगी।
महिला वकील ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि 3 दिसंबर 2025 की रात को वह अपने मुवक्किल की मदद के लिए थाने गई थीं, जहां उन्हें पुलिस द्वारा अवैध रूप से हिरासत में ले लिया गया। मुवक्किल पर हमले की FIR दर्ज कराने पहुंचीं वकील का दावा है कि पुलिसकर्मियों ने उनके साथ शारीरिक छेड़छाड़ की, कोट फाड़ा, बंदूक तानी, यौन धमकियां दीं और मोबाइल से वीडियो डिलीट करवाए। याचिका में कहा गया है कि थाने के CCTV कैमरे जानबूझकर बंद कर दिए गए थे, जो सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देशों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने बेंच से कहा, “यह बेहद गंभीर मामला है। दिल्ली के पास नोएडा में अगर वकीलों के साथ ऐसा हो रहा है, तो देश के बाकी हिस्सों की स्थिति की कल्पना कीजिए।” उन्होंने इसे पुलिस थानों में CCTV की कार्यप्रणाली से जुड़े चल रहे मामले का ‘टेस्ट केस’ बनाने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों की गंभीरता और CCTV बंद होने के मुद्दे को देखते हुए याचिका स्वीकार की, हालांकि सामान्यतः ऐसे मामलों में हाईकोर्ट जाने की सलाह दी जाती है। कोर्ट ने गौतम बुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि घटना की अवधि का CCTV फुटेज डिलीट न किया जाए और इसे सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित रखा जाए।
महिला वकील ने मांग की है कि आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज हो, उन्हें सस्पेंड किया जाए और जांच SIT या CBI को सौंपी जाए। अभी तक पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक मामले की जांच चल रही है।
यह मामला पुलिस हिरासत में महिलाओं और वकीलों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल उठा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से उम्मीद है कि न्याय जल्द मिलेगा।

