Noida Today News: उत्तर प्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) में ई-कोर्ट मॉडल की सफलता के बाद अब ई-आफिस प्रणाली को लागू कर दिया गया है। इसी के साथ यूपी रेरा ने सौ फीसदी डिजिटल आफिस में तब्दील होने की उपलब्धि हासिल कर ली है। सोमवार को यूपी रेरा अध्यक्ष संजय आर. भूसरेड्डी ने ई-ऑफिस के माध्यम से मामलों का निस्तारण करते हुए ई- आफिस की शुरुआत की। इसके लिए आवंटियों के डाटा की सुरक्षा के साथ ही कामकाज के त्वरित निस्तारण के लिए एनआईसी (नेशनल इनफार्मेशन सेंटर) की सुरक्षित ई-ऑफिस सेवाओं को चुना गया है। शिकायतों की फाइलिंग, पीठों में सुनवाई आदेश जारी करने तथा आदेश अनुपालन का अनुरोध दर्ज करने में पहले से ई-कोर्ट मॉडल का उपयोग किया जा रहा है। ई-कोर्ट मॉडल में पक्षकारों को रेरा आफिस आने की जरूरत नहीं होती। वे अपने घर. आफिस या अन्य किसी भी जगह से सुनवाई में जुड़ सकते है और पीठ के सामने अपना पक्ष रख सकते है। सुनवाई के बाद आदेश जारी करने की प्रक्रिया भी पूरी तरह डिजिटल है जहाँ शिकायतकर्ता को पोर्टल से पारित आदेश की कॉपी मिल जाती है। अब यूपी रेरा ‘ई-ऑफिस प्रणाली’ हो गया है। इससे कार्यकुशलता बढ़ेगी और कम से कम समय में पारदर्शिता के साथ काम होंगे। इसका फायदा रियल एस्टेट सेक्टर के सभी हितधारकों को होगा क्योंकि सभी पत्रावलियों की डिजिटल कॉपी रिकॉर्ड के रूप में रहेगी। फाइल को भौतिक रूप से लाने-ले जाने की जरूरत नहीं रहेगी। उनपर सक्षम अधिकारी का अनुमोदन प्राप्त करना आसान हो जाएगा। मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालय में समन्वय के लिए फाइल की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के संचालकों ने नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों की मिलीभगत से प्रोजेक्ट के लिए आवंटित भूमि को दो बार बेचा था। पहले उसने अथॉरिटी द्वारा दी गई करीब 68 हजार वर्ग मीटर भूमि में से 28 हजार वर्ग मीटर अपनी सहयोगी कंपनी थ्री-सी डेवलपर्स को बेची, जिसके बाद श्री-सी ने उसे नोएडा को प्रतीक रियल्टर्स को बेच दिया। अब इंडो प्रतीक रियल्टर्स के संचालकों का के बयान दर्ज करेगा, जिसमें उन्हें भूमि खरीद की रकम का स्रोत भी बताना होगा। प्रतीक रियल्टर्स के संचालक कांग्रेस एक वरिष्ठ नेता के करीबी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं। बता दें कि ईडी जांच में हैसिंडा प्रोजेक्ट के निदेशकों और प्रमोटर्स द्वारा बड़े पैमाने पर अंजाम दी गई धोखाधड़ी के पुख्ता प्रमाण मिल रहे हैं। जांच में सामने आया है
उसने अपने प्रोजेक्ट की भूमि को 236 करोड़ रुपये में 3-सी डेवलपर्स को बेचा। था। यह कंपनी भी हैसिंडा के संचालकों की बताई जा रही है। बाद में इसे प्रतीक रियल्टर्स को बेच दिया गया, जिसने वहां लग्जरी अपार्टमेंट का निर्माण कराया। इस सौदे का सर्वाधिक नुकसान निवेशकों को हुआ, जिन्होंने जिन्हों 68 हजार वर्ग मीटर भूमि पर प्रस्तावित योजना में अपना आशियाना होने का सपना देखा था। कंपनी ने निवेशकों को प्रोजेक्ट का अधिकतर हिस्सा ओपन एरिया होने का झांसा देकर 636 करोड़ रु रुपये बटोर थे, जिसमें से 190 करोड़ रुपये उसने अपनी सहयोगी कंपनियों को असुरक्षित ऋण के रूप में ट्रांसफर कर दिया।
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