Noida: मंडी में बकायेदारों से वसूली की तैयारी, नीलाम होगी सम्पतियां
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Noida: मंडी में बकायेदारों से वसूली की तैयारी, नीलाम होगी सम्पतियां

नोएडा मंडी समिति फल-सब्जी आढ़तियों से ब्याज की रकम वसूल करने के लिए उनकी आरसी काटने की तैयारी की जा रही है। ै तहसील के माध्यम से दुकानदार आढ़तियों की फर्मो तथा उनके जमानतियों की चल अचल सम्पतियों जमीन जायदादों को कुर्क करके फिर उसकी नीलामी करके बकाया रकम वसूल करने की तैयारी कर रही है। उल्लेखनीय है कि नोएडा मंडी समिति ने सन 2018 में 118 दुकानों का ऑनलाइन नीलामी द्वारा आवंटन किया था। आवंटन की नियम शर्तों के अनुसार आधी रकम 15 दिन तथा बाकी आधी रक़म तीन महीने के अन्दर जमा करनी थी इसके बाद एक प्रतिशत ब्याज की शर्त पर छः महीने की मोहलत भी दी गयी थी और छः महीने के बाद डेढ़ प्रतिशत ब्याज लग रहा है। लगभग सभी दुकान आवंटियों ने तय समय सीमा के अंतर्गत पैसा जमा नहीं किया बल्कि पाँचवां साल लगने पर भी पूरे दुकानदारों के प्रीमियम के पैसे जमा नहीं हो सके हैं। इतना लेट पेमेन्ट होने के कारण डेढ़ प्रतिशत ब्याज चढ़ता रहा और लोग गफलत की नींद सोते रहे , लोग प्रीमियम की मूल रकम में तो थोड़े थोड़े पैसे जमा करवाते रहे लेकिन ब्याज में कुछ भी जमा नहीं करवाया जिसका परिणाम यह हुआ है कि किसी पर 27 लाख किसी पर 26 लाख किसी पर 20 लाख किसी पर 16 लाख किसी पर ज्यादा किसी पर कम ये भारी भरकम रकम ब्याज की बाबत छुपी हुई देनदारी निकल आई है जिससे नोएडा मंडी के दुकान आवंटी अचानक सकते में आ गए हैं। इसी प्रकार सन 2021 में 32 दुकानें आवंटित हैं इनमें 30 दुकानों का पूरा पैसा जमा नहीं हुआ है इन पर भी ब्याज की भारी भरकम देनदारी निकल आई है किसी पर 20 लाख किसी पर 16 लाख रुपए ब्याज चढ़ रहा है और चढ़ता ही जा रहा है जिसके कारण लोग परेशान हो गए हैं। नोएडा मंडी के दुकान आवंटियों में पार्टिबन्दी के कारण कोई मजबूत संगठन दुकानदारों की आवाज उठाने वाला नहीं है इस कारण से इस आकस्मिक समस्या के समाधान के लिए नोएडा मंडी के दुकान आवंटियों की कोई बड़ी मीटिंग नहीं हुई हैजइसका मुख्य कारण ये है कि दुकान आवंटियों में दस प्रतिशत से भी कम लोग मंडी में उपलब्ध हैं जो दुकानों पर अपना ख़ुद कारोबार कर रहे हैं बाकी 90 प्रतिशत अपनी दुकानें किराये पर उठाकर निश्चिन्त होकर गायब हैं जबकि यहाँ मंडी में समस्याएं खड़ी होती जा रही हैं लेकिन उन्हें कोई चिन्ता नहीं है जबकि उनकी दुकानें भी खतरे में पड़ चुकी हैं। ऐसी स्थिति में सवाल यह है कि उनकी लड़ाई कौन लड़े और कौन पैरोकारी करे?

इससे भी ज्यादा चिंताजनक पहलू यह है कि इन दुकान आवंटियों ने जब सन 2017 में अपनी अपनी फर्मो के लाइसेंस मंडी समिति से बनवाये थे तब प्रत्येक फर्म ने मंडी समिति को यह शपथपत्र दिया था कि यदि मेरी या मेरी फर्म पर मंडी समिति का कुछ भी बकाया निकले तो मंडी समिति मेरी निजी सम्पत्ति से अपना बकाया वसूल कर सकती है मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी। इसके साथ ही उन्होंने अपनी संपत्ति जमीन जायदाद के कागज भी साथ में लगाकर दाख़िल कर दिए हैं अगर किसी लाइसेंसी के नाम कोई जमीन जायदाद नहीं थी तो उसने जमीन जायदाद वाला गारंटर दिया है और उसकी जायदाद के कागज उसके शपथपत्र के साथ दाखलि किये हैं कि अगर इस फर्म पर मंडी समिति का कुछ भी बकाया निकले तो वो बकाया रकम मेरी इस जायदाद से वसूल कर ली जावे मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी अब उन जमानतियों पर भी कार्रवाई होने जा रही है। सारे दुकान आवंटी अपने और अपने जमानतियों के हाथ कटाये बैठे हैं जिसके कारण ब्याज से बचने का कोई रास्ता नहीं बचा है ऐसी स्थिति में अब दो ही विकल्प हैं या तो दुकान आवंटी ब्याज की रकम जमा करवा दें वरना फिर मंडी समिति के पास तहसील के माध्यम से रिकवरी कराने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। इस बाबत मंडी समिति सभी 150 में से दो चार अपवाद को छोड़कर सभी दुकान आवंटियों को प्रीमियम के अलावा ब्याज की बाबत भी नोटिस जारी कर रही है।

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