Noida Police: क्या सच्चाई है पुलिस कस्टडी में हो रही मौतों की, पूरी खबर पढ़ें तभी पता चलेगा
Noida Police: लगातार पुलिस कस्टडी में मौत की खबरें अखबारों में पढ़ने को मिलती है। चाहे क्षेत्र शहरी हो या फिर देहात। सभी इलाकों में पुलिस कस्टडी में मौत के मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन पुलिस ऐसे मामलों को ज़्यादातर आत्महत्या करार देने की कोशिश करती है। मगर जिनके परिजन समाज में रसूल रखते हैं वैसे लोग तो न्याय के लिए अफसरों के पास जाते हैं, मंत्रियों के पास जाते हैं और पुलिसकर्मियों को ही सजा करा देते हैं। लेकिन मृतक के परिजन यदि गरीब हैं और सामाजिक रूप से बहुत ज्यादा रसूख नहीं है तो पुलिस उन पर दबाव बनाकर समझौता कर लेती। गौतमबुद्ध नगर में दो महीने के अंदर पुलिस कस्टडी में दो मौत के मामले सामने आए। इस बार ग्रेटर नोएडा वेस्ट थाना बिसरख क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली चौकी चिपियाना बुजुर्ग में एक युवक की पुलिस कस्टडी मैं मौत हो गई। योगेश कुमार नामक ये युवक एक बेकरी में सुपरवाइजर का काम करता था। इसी बेकरी में काम करने वाली एक युवती ने पुलिस को तहरीर दी कि उसका उत्पीड़न कर रहा है। पुलिस मामले की जांच कर रही थी। इसी दौरान पूछ्ताछ के लिए योगेश कुमार को चौकी बुलाया गया। संदिग्ध परिस्थितियों में योगेश की चौकी के अंदर ही मौत हो गई। पुलिस अफसरों का कहना है योगेश ने पुलिस चौकी के बेरक में सुसाइड की। हालांकि हंगामे को देखते हुए बीते दिन पुलिस अफसरों ने चौकी व आसपास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था के पुलिस फोर्स तैनात किया गया और चौकी छावनी में तब्दील कर दी गई।
अब हर व्यक्ति के मन में एक सवाल उमड़ रहा है? क्या वाकई पुलिस कस्टडी में मौत हुई है या हत्या।
पुलिस हिरासत में किसी भी व्यक्ति की मौत होना ऐसा समझा जाता है कि पुलिस उत्पीड़न से परेशान होकर उस व्यक्ति ने जान दिए या फिर सामाजिक डर से उसने सुसाइड कर ली। इसकी संभावना बेहद कम रहती है। जिस तरह से ये सुसाइड की गई है उससे कई सवाल उपज रहे। डीसीपी सेंट्रल नोएडा सुनीति का कहना है कि योगेश को पूछ्ताछ के लिए चौकी बुलाया गया था। चौकी के बगल वाली बैरक में योगेश को रखा गया। सामाजिक डर से उसने फांसी लगा ली या मामला कुइ और है, फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। एडिशनल डीसीपी नोएडा मनीष कुमार मिश्रा को इसकी जांच दी गई है।
नोएडा में पुलिस कस्टडी का कोई पहला मामला नहीं
नोएडा में पुलिस कस्टडी के दौरान कई लोगों की मौत हो चुकी है। करीब एक महीने पहले थाना सेक्टर 39 क्षेत्र के अंतर्गत एक व्यक्ति की सदरपुर चौकी में मौत हुई थी। हालांकि पुलिस इसे बिमारी के कारण मौत बताती रही। नोएडा में जिस वक्त कमिश्नरी व्यवस्था लागू नहीं थी। उस दौरान थाना सेक्टर 20 और थाना सेक्टर 39 में भी कस्टडी के दौरान मौत हुई थी।
आखिर कैसे हो जाती है मौत
आमजन के मन में एक ही सवाल घूमता रहता है। पुलिस कस्टडी में आखिर किसी भी व्यक्ति की मौत कैसे हो जाती है? जानकार कहते हैं कि कभी कभी पुलिसकर्मी किसी भी व्यक्ति की पिटाई ज्यादा कर देते हैं। जिस कारण मौत होना स्वाभाविक है या फिर उसे इतना टॉर्चर किया जाता है कि वो अपना हौश-ओ-आवाज़ खो बैठता है। टॉर्चर के दौरान उसे सामाजिक प्रतिष्ठा भी याद दिलाई जाती है। जिसके चलते हो सकता है कि व्यक्ति डिप्रेशन में आ जाए और वो खुद ही आत्महत्या कर ले। बहुत बार ऐसा भी देखने को मिला है कोई व्यक्ति बीमार हैं। उसे दवा की जरूरत है लेकिन पुलिस उसकी बात झूठ समझती है। उसे दवा नहीं दिलाई जाती। इससे भी मौत होने के चांस बढ़ जाते हैं। कई मामलों में हत्या की रिपोर्ट दर्ज होती है और पुलिस अफसर और पुलिसकर्मी दोनों ही जेल चले जाते। लेकिन जांच करने वाले भी तो पुलिस विभाग या प्रशासन के लोग होते हैं। जो उन्हें क्लीनचिट तो देते हैं। लेकिन कोर्ट से उन्हें आसानी से जमानत नहीं मिल पाती। कुछ ऐसे पुलिस कर्मी होते हैं जो पूरे मामले को मैनेज कर लेते हैं और बेफिक्र घूमते हैं। उनके हौसले बढ़ते रहते हैं और वो अपनी हरकतों को दोहराते रहते है।