Noida News: मुद्रा लोन दिलाने के नाम पर करते थे ठगी, जाने कैसे
Noida News: थाना सेक्टर 63 पुलिस (police Station sector 63) एवं साइबर हेल्पलाइन मुख्यालय सेक्टर 108 नोएडा की टीम ने संयुक्त रूप से सेक्टर 63 मे फर्जी कॉल सेंटर खोल कर फर्जी आईडी की सीम से कॉल कर, प्रधानमंत्री मुद्रा लोन दिलाने के नाम पर इच्छुक व्यक्तियों के साथ फाइल चार्ज, इंश्योरेंस फीस, ईसी चार्ज तथा जीएसटी आदि के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले 8 जालसाज को गिरफ्तार किया है। उनके पास से 10 डेस्कटॉप, 21 मोबाइल फोन ,17 डेबिट कार्ड तथा 28 हजार रुपए नगद एवं जनलक्ष्मी कंपनी के 5 फर्जी लोन अप्रूवल लेटर बरामद किए हैं।
Noida News: एडीसीपी सेंट्रल नोएडा विशाल पांडे (ADCP Central Noida Vishal Panday) ने बताया कि थाना सेक्टर 63 के थाना प्रभारी अमित कुमार मान और उनकी टीम ने एच 15 ,सेक्टर 63 में आॅफिस खोल कर फर्जी आईडी की सिम से कॉल करके प्रधानमंत्री मुद्रा लोन देने के नाम पर, लोन लेने के इच्छुक व्यक्तियों से फजीर्वाड़ा कर धोखाधड़ी से फाइल चार्ज, इंश्योरेंस, ईसीएस चार्ज तथा जीएसटी के नाम पर पैसा अपने बैंक खातों में यू पी आई व अन्य माध्यम से मंगवाते थे। और जनलक्ष्मी फाइनेंस के नाम से फर्जी कॉल स्वीकृत पत्र दिखाए जाते थे। जिससे उन्हें यकीन हो जाता कि उनका लोन स्वीकृत हो गया है, तथा पैसा डाल देते थे।
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Noida News: उन्होंने पकड़े गए जालसाजो के नाम सौरभ शर्मा पुत्र रामभूल शर्मा निवासी कैलाश नगर गाजियाबाद, लक्ष्य वशिष्ठ पुत्र वासुदेव शर्मा निवासी गंगा एनक्लेव मोती नगर, सत्येंद्र कुमार पाल पुत्र भूले राम निवासी मकनपुर गाजियाबाद, हरिओम गौतम पुत्र सुभाष चंद गौतम निवासी विजय नगर गाजियाबाद, अमन कुमार पुत्र संजीव कुमार निवासी बहरामपुर गाजियाबाद, नकुल कुमार पुत्र नानक चंद निवासी कैलाश नगर गाजियाबाद, रोहित कुमार पुत्र प्रमोद कुमार सेक्टर 73 नोएडा, हर्ष कुमार पुत्र समर पाल निवासी सरफाबाद बताए हैं। पकड़े गए अभियुक्तों ने करोड़ों की ठगी करना स्वीकृत किया है।
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ऐसे देते थे ठगी को अंजाम
Noida News: जालसाज भोले भाले लोगों को फर्जी आईडी की सिम से कॉल कर प्रधानमंत्री मुद्रा लोन देने के नाम पर धोखाधड़ी से फाईल चार्ज, इश्योरेंस फीस, ईसीएस चार्ज तथा जीएसटी के नाम पर पैसा अपने बैंक खातों में यूपीआई व अन्य माध्यम से मंगवाते थे तथा जनलक्ष्मी फाइनेंस के नाम का फर्जी लोन स्वीकृत पत्र तैयार कर अपनी वेबसाईट पर अपलोड़ कर देते थे। लोने लेने वाले व्यक्तियों को लेटर वाट्सअप के माध्यम से भी भेज देते थे, जब लोन लेने वाला व्यक्ति वेबसाईट पर अपने लोन का स्टेटस देखता था, तो उसे अपलोड़ किया गया स्वीकृत पत्र दिखता था। जिससे उन्हे यकीन हो जाता है कि उनका लोन स्वीकृत हो गया है तथा वह पैसा डाल देते थे, लेकिन उक्त पत्र फर्जी होता था, जिसकी उन्हें जानकारी नहीं होती थी।