Noida News: सेक्टर-137 स्थित फेलिक्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने गंभीर फेफड़ों के संक्रमण से पीड़ित आठ वर्षीय बच्ची का सफल उपचार कर उसकी जान बचाने में सफलता पाई है। बच्ची को लंबे समय से बुखार, सांस लेने में दिक्कत और अत्यधिक सुस्ती की शिकायत थी। प्रारंभिक इलाज से राहत न मिलने पर विशेषज्ञों की टीम ने गहन जांच कर उसे जटिल सर्जरी के माध्यम से नया जीवन दिया।
फेलिक्स हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि बच्ची को गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था। प्राथमिक जांच में प्लूरल इफ्यूजन (फेफड़े में पस भरना) पाया गया। अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में दाएं फेफड़े में भारी मात्रा में पस और कई मोटी झिल्लियां (सेप्टेशन) दिखाई दीं, जिससे फेफड़े का एक हिस्सा दब गया था। इस पर यूएसजी गाइडेड पिगटेल कैथेटर लगाकर पस निकाला गया, लेकिन स्थिति में विशेष सुधार नहीं हुआ।
इसके बाद कराए गए एचआरसीटी स्कैन में दाएं फेफड़े में अत्यधिक पस, संकुचन, चिपकने और मीडियास्टाइनल लिम्फ नोड्स में सूजन जैसी जटिलताएं सामने आईं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल की कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) टीम से परामर्श लिया गया, जिन्होंने तत्काल सर्जरी की सलाह दी।
थोराकोटॉमी और डिकॉर्टिकेशन से मिला जीवनदान
डॉ. मयंक अग्रवाल, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. विवेक पुष्प और अन्य चिकित्सकों की टीम ने बच्ची की दाईं ओर थोराकोटॉमी (छाती की बड़ी सर्जरी), डिकॉर्टिकेशन (पस और झिल्लियों को हटाने की प्रक्रिया) और इंटरकोस्टल ड्रेन (आईसीडी) की मदद से सफल सर्जरी की। आॅपरेशन के बाद बच्ची की हालत में तेजी से सुधार हुआ।
टीबी की पुष्टि, एंटी ट्यूबरकुलर थैरेपी शुरू
आॅपरेशन से प्राप्त सैंपलों की जांच में एडीए और एलडीएच स्तर ऊंचे पाए गए तथा लिम्फोसाइट्स की अधिकता और रेडियोलॉजिकल रिपोर्ट से टीबी की पुष्टि हुई। इसके बाद बच्ची को एंटी ट्यूबरकुलर थैरेपी पर रखा गया है। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों में टीबी के कारण इतना गंभीर एम्पायमा (फेफड़े में पस भरना) दुर्लभ है, लेकिन समय पर इलाज से स्थिति काबू में आ गई।
माता-पिता ने जताया आभार
बच्ची की मां ने भावुक होकर कहा कि डॉक्टरों ने समय पर सही निर्णय लेकर मेरी बेटी को नई जिंदगी दी। फेलिक्स हॉस्पिटल की पूरी टीम का हम दिल से धन्यवाद करते हैं।
विशेषज्ञों की सलाह: बच्चों में न करें लक्षणों की अनदेखी
विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों में लंबे समय तक बुखार, सांस लेने में परेशानी या सीने में दर्द जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें। समय पर जांच और इलाज से बड़ी जटिलताओं से बचा जा सकता है।
Noida News: गंभीर फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रही बच्ची की वरदान बना फेलिक्स अस्पताल, ‘समय रहते सफल सर्जरी कर बचाई जान’

