Noida News: नोएडा। स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के रडार पर 10 आईएएस अधिकारी आ चुके हैं। ये सभी अधिकारी नोएडा प्राधिकरण में मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के पद पर रह चुके हैं। इनमें से कई अधिकारियों की दो से तीन बार तक नोएडा में तैनाती रही है। इसके अलावा, एसीईओ और प्लानिंग विभाग से जुड़े अधिकारियों की भी जांच की जा सकती है।
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हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि आज सीबीआई की टीम एक बार फिर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पहुंच सकती है। कोर्ट ने सीबीआई को प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों और बिल्डरों के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इससे प्राधिकरण के पूर्व अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में प्रारूप से लेकर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ऑडिट आपत्तियों का दायरा 2007 से 2017 के बीच का है। इस दौरान परियोजना की शुरुआत हुई और बिल्डरों के लिए कई नियमों में बदलाव किए गए। सेक्टर-78, 79, 101, 150, 152 में चारों बड़े प्लॉट के सब-डिवीजन को मंजूरी दी गई, लेकिन बिल्डरों से बकाया राशि नहीं जमा कराई गई और न ही परियोजना में शामिल खेल सुविधाओं का विकास हुआ।
इस दौरान ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के नक्शे पास करने से लेकर फ्लैटों के लिए ओसी (ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट) और सीसी (कंपलीशन सर्टिफिकेट) तक जारी किए गए। हालांकि, इन अनियमितताओं पर कोई रोक नहीं लगी और न ही बिल्डरों पर कोई ठोस कार्रवाई की गई।
25 जून 2007 को नोएडा प्राधिकरण की 145वीं बोर्ड बैठक में लगभग 311.60 हेक्टेयर भूमि पर खेलकूद सुविधाओं के विकास के लिए स्पोर्ट्स सिटी परियोजना प्रस्तावित की गई थी। 8 अप्रैल 2008 को हुई बैठक में इस परियोजना को अनुमोदित किया गया। 2011 में इस परियोजना में बिल्डर कंपनियों के लिए नेटवर्थ और टर्नओवर की मंजूरी दी गई।
2021 में नोएडा प्राधिकरण ने बकाया जमा न होने और खेल सुविधाओं के विकास न होने के कारण ओसी-सीसी, सब-डिवीजन और नक्शा पास करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
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इन आईएएस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत रहे इन आईएएस अधिकारियों की भूमिका जांच के दायरे में आ सकती है संजीव सरन (15 सितंबर 2005 – 16 मई 2007 और 4 मई 2012 – 21 जनवरी 2013), मोनिका गर्ग, बलविंदर कुमार (दो बार तैनात), ललित श्रीवास्तव (अतिरिक्त प्रभार),
मोहिंदर सिंह (कई बार चेयरमैन और सीईओ), रमारमण (14 दिसंबर 2010 को सीईओ बने, फिर दोबारा नियुक्ति), जीवेश नंदन, एसके द्विवेदी, अनिल राजकुमार (17 मार्च 2012 – 4 मई 2012 और 20 मार्च – 5 मई 2012 तक चेयरमैन), आलोक टंडन
सीबीआई की जांच के आगे बढऩे के साथ यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दर्ज होने वाले केस में किन अधिकारियों के नाम शामिल किए जाते हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द ही कई बड़े खुलासे होने की संभावना है।
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