देरी के मुख्य कारण क्या हैं?
सूत्रों के अनुसार, एयरपोर्ट की पेरिमीटर दीवार अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुई है। इसके साथ ही वॉच टावरों पर पर्याप्त लाइटिंग और अन्य सुरक्षा व्यवस्थाएं अधर में लटक रही हैं। पैसेंजर टर्मिनल एरिया में आने-जाने वालों के रास्तों का ठीक से अलगाव नहीं हुआ है, जिससे सामान आदान-प्रदान में गड़बड़ी का खतरा बना हुआ है।
इसके अलावा, बम डिस्पोजल इक्विपमेंट को सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) से अंतिम प्रमाणन मिलना बाकी है। सबसे बड़ा मुद्दा एयरपोर्ट के CEO क्रिस्टोफ श्नेलमैन का है, जो विदेशी नागरिक हैं। ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स के लिए विदेशी CEO को गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी जरूरी होती है। ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) ने इसे नियमों का उल्लंघन बताया है, हालांकि CEO ने तर्क दिया कि एयर इंडिया और इंडिगो के CEO भी विदेशी हैं।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन सचिव समीर सिन्हा ने गुरुवार को संबंधित एजेंसियों—BCAS, CISF, DGCA और गृह मंत्रालय के अधिकारियों—के साथ बैठक की, जिसके बाद देरी की पुष्टि हुई।
पहले कई बार टली तारीख
एयरपोर्ट पहले अप्रैल 2025, फिर नवंबर और दिसंबर 2025 तक शुरू होने वाला था। अब जनवरी 2026 में उद्घाटन के बाद कम से कम 45 दिन लगेंगे फ्लाइट्स शुरू करने में। CEO श्नेलमैन ने कहा है कि शुरुआत में दिन की लिमिटेड फ्लाइट्स होंगी, फिर धीरे-धीरे रात की उड़ानें और पूरा ऑपरेशन शुरू होगा। इसके लिए ‘ऑपरेशनल रेडीनेस एंड एयरपोर्ट ट्रांसफर’ (ORAT) प्रक्रिया चल रही है।
उदाहरण के तौर पर, नवी मुंबई एयरपोर्ट का उद्घाटन अक्टूबर 2025 में हुआ और फ्लाइट्स दिसंबर से शुरू हो गईं। गोवा के मोपा एयरपोर्ट ने भी उद्घाटन के एक महीने बाद ऑपरेशंस शुरू किए थे।
यह एयरपोर्ट दिल्ली-NCR की बढ़ती हवाई जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है और उत्तर भारत का बड़ा लॉजिस्टिक्स हब बनेगा। देरी से निराशा है, लेकिन अधिकारी जल्द से जल्द सभी मुद्दे सुलझाने का दावा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से अंतिम तारीख की मंजूरी का इंतजार है।

