Noida: जीएसटी विभाग के रडार पर नोएडा की सेकड़ों कंपनियां

फर्जी बिलिंग के आधार पर सरकार को करोड़ों रूपये का चूना लगोने वाली सेकड़ों बोगस कंपनिया अब जीएसटी विभाग के रडार पर हैै। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) में घपला करने वाली एक गारमेंट कंपनी के तीन ठिकानों पर राज्य जीएसटी विभाग की टीम ने एक साथ छापेमारी की। 26 घंटे तक चली जांच के दौरान 1.55 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई। जीएसटी टीम को कंपनी के लॉकर से 64.69 लाख रुपये भी मिले जिसकी कंपनी के कैशबुक में कहीं एंट्री नहीं की गई थी। इसकी सूचना आयकर विभाग को दी गई। जीएसटी और आयकर विभाग की टीमें देर रात तक जांच में जुटी रहीं। इस दौरान करोड़ों रुपये की कर चोरी के संकेत मिले हैं।

शनिवार को दिन में करीब 11 बजे राज्य जीएसटी विभाग के नोएडा जोन संभाग-बी की अलग-अलग जांच टीमों ने यूइंटेड एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड के सेक्टर-65 बी ब्लॉक स्थित दो परिसरों के अलावा सेक्टर-63 सी ब्लॉक स्थित एक अन्य परिसर में दबिश दी। दस्तावेज जांचने पर पाया गया कि कंपनी ने 1.55 करोड़ रुपये की फर्जी आईटीसी को टैक्स देयता में समायोजित किया है।
साथ ही, इनमें से एक परिसर में फर्म अघोषित तरीके से चलाई जा रही है। जांच के दौरान मिले स्टॉक और रजिस्टर में मिले अंतर के आधार पर 3.25 करोड़ रुपये जुर्माने का आकलन किया गया। 1.55 करोड़ रुपये की फर्जी आईटीसी को मिलाकर 4.80 करोड़ रुपये जमा कराने के निर्देश कंपनी प्रबंधन को दिए गए। हालांकि, करीब दो करोड़ रुपये कंपनी ने जमा करा दिए। कपड़े बनाने वाली कंपनी के तीन परिसरों में जीएसटी और आयकर विभाग की संयुक्त कार्रवाई घंटों चली, लेकिन इसकी जानकारी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को नहीं थी। तीनों ही परिसरों में रोजाना की तरह काम होता रहा। हालांकि, जांच टीमों ने कंपनी के अधिकारियों को बाहर जाने की अनुमति नहीं दी।

बोगस कंपनियां फर्जी बिलों के जरिये करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी करने वाला सिंडिकेट देशभर में फैला हुआ है। इस साल अप्रैल में चार जिलों में चले सर्च ऑपरेशन के दौरान 128 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी के मामले में कई और खुलासे हुए थे। फर्जी पतों पर कागजी फर्म से खरीदारी करने वाली सेकड़ों कंपनियां जांच के दौरान राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) विभाग के रडार पर आई हैं। इन कंपनियों पर विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हालाकि कुछ ऐसी कंपनियां पाई जा रही है जिनके मालिक बेहद गरीब है और उनको नही पता कि कंपनी उनके नाम पर कैसे खोली गई।

 

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