Noida: इस बच्ची के लिए भगवान से कम नहीं थे डॉक्टर, जानें पूरा मामला
आज के युग में डॉक्टरों को चाहे कितना भी भला-बुरा बोले लेकिन हकीकत यह है कि डॉक्टर कभी-कभी भगवान का रूप लेकर किसी की भी जिंदगी को बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसा ही मामला सेक्टर 35 स्थित सुमित्रा अस्पताल में देखने को मिला। जहां डॉक्टरों ने 480 ग्राम की बच्ची की जिंदगी बचाने में अहम भूमिका निभाई। 3 महीने तक लगातार डॉक्टर इस बच्ची को बचाने का प्रयास करते रहे। आखिरकार उन्हें सफलता मिल ही गई। डॉ. अंकित गुप्ता और डॉ.अर्पित गुप्ता ने बताया कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम ईएसआई अस्पताल में जन्म के 6 महीने की प्रीमेच्योर बच्ची को इलाज के लिए रेफर किया गया। कम वजन होने से बच्ची सही से सांस नहीं ले पा रही थी और उसका शरीर भी नीला पड़़ रहा था। उत्तर भारत में ऐसा मामला पहली बार ही देखने को मिला है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ वीके गुप्ता के नेतृत्व में बच्ची का इलाज शुरू किया गया। बच्ची को सबसे पहले वेंटीलेटर और एनआईसीयू स्पोर्ट पर रखा गया, ताकि उसके स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सके।
अस्पताल में रहने के दौरान बच्ची की हालत में सुधार होने पर करीब 3 महीने बाद उसका वजन 1.4 किलोग्राम हो गया। जिसके बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉ. अर्पित बताते हैं कि ऐसे केस में बच्चों की जिंदगी बचाना बेहद मुश्किल रहता है मगर सुमित्रा अस्पताल के सीएमडी एवं उनके पिता डॉ वीके गुप्ता का अनुभव काम आया और उन्होंने उनके साथ मिलकर 480 ग्राम की बच्ची की जिंदगी बचाने में अपना योगदान दिया। बच्ची के स्वस्थ घर लौटने पर अस्पताल प्रबंधन को उसके परिजनों ने शुक्रिया कहा और वे कहते है कि ये डाक्टर हमारे लिए भगवान बनकर आए। परिजन कहते है कि हम लोग उम्मीद छोड़ चुके थे।