ये निकले दस कदम आगे: नौकरी का झांसा देकर सांसद-विधायकों के रिश्तेदारों से ठगी

नई दिल्ली । उत्तर जिला साइबर पुलिस ने सांसद-विधायक के रिश्तेदारों और जानकारों से नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा किया है। पुलिस ने गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है। इन्होंने अब तक देशभर में 120 सांसद और विधायकों से संपर्क कर इनके रिश्तेदारों से ठगी की है।
डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि चांदनी चौक निवासी एक युवती ने एनसीपीसीआर पोर्टल पर शिकायत दी थी। पीड़िता ने बताया कि सांसद का हवाला देकर एक शख्स ने फोन किया और स्थानीय एसबीआई बैंक में क्लर्क की नौकरी दिलाने का वादा किया। फिर पीड़िता से 25 हजार रुपये अन्य शुल्क के नाम पर ले लिए। जब पीड़िता बैंक गई तो मालूम हुआ कि वह ठगी गई है। साइबर थाने में ठगी की एफआईआर दर्ज की गई। साथ ही एसएचओ पवन तोमर की देखरेख में एसआई गुमान सिंह और एसआई रंजीत की टीम ने जांच शुरू की। पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस और बैंक में जमा रुपये के निकालने के आधार पर लखनऊ से 24 वर्षीय आशू बाजपेयी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने खाते में जमा करीब सवा लाख रुपये भी फ्रीज करा दिया।

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आशू ने बताया कि वह अपने सगे भाई प्रदीप के साथ ठगी का गिरोह चला रहा था। दोनों भाई डिलीवरी ब्वॉय हैं। इनकी मुलाकात लखनऊ में रविकांत नाम के युवक से हुई। रविकांत ने स्थानीय विधायक को बैंक अधिकारी बनकर फोन किया और रिश्तेदार को नौकरी दिलाने का झांसा दिया। उसने रुपये ले लिए, लेकिन मामले का खुलासा हो गया। दोनों भाइयों ने इससे सबक लेकर यूपी के बाहर के विधायक और सांसदों को निशाना बनाने की योजना तैयार की। इन्होंने दूसरे के नाम पर सिमकार्ड खरीदे, जिनका इस्तेमाल ठगी में किया गया।
दोनों भाई गूगल से सांसद और विधायकों की जानकारी जमा कर लेते थे। फिर ट्रू कॉलर पर अपना नंबर बैंक के नाम से दर्ज करा लेते। इसके बाद सांसद और विधायक को फोन कर खुद को बैंक में उच्च पदस्थ अधिकारी बताकर बैंक में नौकरी दिलाने का झांसा देते थे। फिर सांसद-विधायक ही जानकारों का नंबर देकर अपना हवाला देकर बात करने को कहते। इनके शिकार लोगों में केंद्रीय राज्य मंत्री और राज्य मंत्री के रिश्तेदार शामिल हैं।

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