New Delhi/Yemen News: केरल की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई 2025 को फांसी की तारीख तय की गई है। निमिषा पर 2017 में उनके यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा है। इस मामले में भारत सरकार, निमिषा का परिवार, और ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ उनकी जान बचाने के लिए आखिरी कोशिशों में जुटे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप की याचिका को स्वीकार कर 14 जुलाई को सुनवाई की तारीख़ तय की है।
निमिषा प्रिया 2008 में बेहतर रोजगार की तलाश में केरल के पलक्कड़ जिले से यमन चली आई थीं। 2014 में उनकी मुलाकात तलाल अब्दो महदी से हुई, और दोनों ने 2015 में सना में एक क्लिनिक की शुरुआत की । यमनी कानून के अनुसार, विदेशियों को व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थानीय साझेदार की जरूरत होती है। लेकिन जल्द ही दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। निमिषा ने आरोप लगाया कि तलाल ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया, उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी कर रहा है इसके साथ ही फर्जी दस्तावेजों के जरिए खुद को उनका पति बताकर आर्थिक शोषण किया।
2017 में निमिषा ने तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन देकर अपना पासपोर्ट वापस लेने की कोशिश की, लेकिन दवा की अधिक मात्रा के कारण तलाल की मौत हो गई। इसके बाद निमिषा और उनकी सहयोगी हनान ने कथित तौर पर शव के टुकड़े कर एक पानी की टंकी में फेंक दिए। 2018 में यमनी कोर्ट ने निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया, और 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। 2023 में यमन की सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी, और जनवरी 2024 में यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने सजा को मंजूरी दी।
निमिषा की जान बचाने के लिए कई स्तरों पर प्रयास चल रहे हैं। ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ ने तलाल के परिवार को ‘ब्लड मनी’ (दियात) के तहत 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.6 करोड़ रुपये) की पेशकश की है। शरिया कानून के अनुसार, यदि पीड़ित परिवार इस मुआवजे को स्वीकार कर लेता है, तो सजा माफ हो सकती है। हालांकि, तलाल का परिवार अब तक माफी देने को तैयार नहीं है।
निमिषा की मां प्रेमा कुमारी पिछले साल से यमन में हैं और पीड़ित परिवार से बातचीत की कोशिश कर रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बसकरन ने बताया कि वे फांसी को कम से कम एक महीने के लिए टालने और तलाल के परिवार से माफी मांगने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा, भारत सरकार ईरान के जरिए हूती विद्रोहियों से संपर्क साधने की कोशिश कर रही है, क्योंकि निमिषा हूती-नियंत्रित सना की जेल में बंद हैं।
10 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने निमिषा की फांसी रोकने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई। वरिष्ठ वकील आर. बसंत ने जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने तर्क दिया कि यमनी कानून में ‘ब्लड मनी’ के जरिए माफी का प्रावधान है, और भारत सरकार के राजनयिक हस्तक्षेप से निमिषा की जान बचाई जा सकती है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से जवाब मांगा है और 14 जुलाई को सुनवाई तय की है। यह सुनवाई फांसी की तारीख से सिर्फ दो दिन पहले होगी, जिससे समय की कमी एक बड़ी चुनौती है।
निमिषा के पति टॉमी थॉमस, जो एक दिहाड़ी मजदूर और ड्राइवर हैं, और उनकी 12 वर्षीय बेटी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। परिवार पर 60 लाख रुपये का कर्ज है, जो 2015 में क्लिनिक शुरू करने के लिए लिया गया था। टॉमी ने कहा कि उन्हें फांसी की तारीख की कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, और इस बारे में उन्हें सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है।
क्या बचेगी निमिषा की जान?
निमिषा की जिंदगी अब भारत सरकार के राजनयिक प्रयासों, तलाल के परिवार की माफी, और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि हूती विद्रोहियों के साथ भारत के सीमित राजनयिक संबंध और यमन के गृहयुद्ध जैसे हालात इस मामले को जटिल बना रहे हैं। फिर भी, ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ और निमिषा का परिवार आखिरी पल तक उम्मीद नहीं छोड़ रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हम निमिषा प्रिया के मामले में हर संभव मदद कर रहे हैं। यमनी अधिकारियों और उनके परिवार के संपर्क में हैं।” मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद जॉन ब्रिटास ने भी विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
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