Nepal Earthquake : भूकंप से अब तक 157 की मौत, राहत-बचाव अभियान जारी
Nepal Earthquake : काठमांडू। हिमालयी देश नेपाल में शुक्रवार आधीरात से ठीक पहले आए 6.4 तीव्रता वाले भूकंप के तेज झटकों के कारण सुदूर पर्वतीय क्षेत्र के जाजरकोट और रूकुम पश्चिम जिले में भारी तबाही हुई है। अब तक मलबे के ढेर से 157 शव निकाले जा चुके हैं। इन जिलों में तीन हजार से अधिक घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं । राहत और बचाव कर्मचारी अभी भी मलबे में जिंदगी की तलाश कर रहे हैं। इसलिए मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। प्रभावित लोगों को राहत शिविर में ठहराया गया है।
Nepal Earthquake :
भूकंप से सात जिला प्रभावित हुए हैं। सबसे अधिक नुकसान जाजरकोट और रूकुम पश्चिम जिले में हुआ है। इनमें रूकुम पश्चिम जिले के आठबिसकोट नगर पालिका क्षेत्र में भारी तबाही हुई है। यहां के वार्ड नम्बर 11, 12, 13 और 14 में रहने वालों के घर मिट्टी में मिल गए हैं। सानो भेरी नगर पालिका के वार्ड नम्बर 2, 3,4, जाजरकोट के नलगाड नगर पालिका के कुछ वार्डों के अलावा भेरी नगर पालिका के वार्ड नम्बर 1, 3 और 4 में भूकंप का तबाही का मंजर छोड़ गया है। दैलेख, जुम्ला, सल्यान, प्यूठान और बैतडी जिला भी आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं।
नेपाल प्रहरी के प्रवक्ता डीआईजी कुबेर कडायत के अनुसार शनिवार देररात तक जाजरकोट में 105 और पश्चिम रूकुम में 52 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। जाजरकोट जिला में 106 तथा रूकुम पश्चिम जिला में 86 से अधिक लोग घायल हुए हैं। दैलेख, जुम्ला, प्यूठान और बैतडी जिले में 3-3, सल्यान जिला में 2, रोल्पा और दांग जिला में 1-1 व्यक्ति घायल हुए हैं। गृहमंत्री नारायणकाजी श्रेष्ठ ने विपदा व्यवस्थापन समिति की बैठक के बाद कहा कि मृतकों के आश्रितों को 2-2 लाख रुपये, ध्वस्त घरों की भरपाई के लिए प्रत्येक परिवार को तीन लाख रुपये दिए जाएंगे। फौरी तौर पर सभी पीड़ित परिवारों को 50-50 हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे।
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नेपाल के भूकंप प्रभावित क्षेत्र में रातभर खुले में ठिठुरते रहे लोग
नेपाल के सुदूर पर्वतीय क्षेत्र जाजरकोट और रूकुम पश्चिम जिले के भूकंप प्रभावित अधिकांश लोग शनिवार रात ठंड से ठिठुरते रहे। लोगों को खुले आसमान के नीचे रात काटनी पड़ी।इन इलाकों में रात का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से भी कम था।
भूकंप में घर-द्वार खो चुके लोगों के लिए रात बहुत लंबी और भारी रही। कुछ तो परिवार के साथ सड़कों पर ही रात गुजारने को मजबूर हुए। जाजरकोट के नलगाड नगर पालिका के कम से कम चार वार्ड ऐसे हैं जहां एक भी घर सही-सलामत नहीं बचा है। इन लोगों के पास न तिरपाल पहुंच पाए और न कंबल। कुछ लोगों ने खुले आसमान के नीचे सिर्फ मच्छरदानी लगा कर रात गुजारी।
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