NCR Pollution : कितनी घातक है एनसीआर की हवा, बन सकता है फेफड़ों के कैंसर का कारण
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NCR Pollution : कितनी घातक है एनसीआर की हवा, बन सकता है फेफड़ों के कैंसर का कारण

NCR Pollution :  राजधानी दिल्ली में लगातार चौथे दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब श्रेणी में बना हुआ है और आने वाले कुछ दिनों तक भी हवा में सुधार के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. आज यानी 27 अक्टूबर को दिल्ली का औसत AQI 249 दर्ज किया गया, जो खराब कैटेगरी में आता है. कल (26 अक्टूबर) इसी वक्त ये 256 मापा गया था, वहीं बुधवार को एक्यूआई 243 और मंगलवार को 220 दर्ज किया गया था.

NCR Pollution :
वायु प्रदूषण केवल हमारे वातावरण के लिए ही नहीं बल्कि हमारी सेहत के लिए भी काफी हानिकारक होता है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे और बूढ़े होते हैं। हवा में प्रदूषण का स्तर बढऩे से फेफड़ों से जुड़ी कई बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
आपके फेफड़ों के साथ-साथ दिल पर भी इसका बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण की वजह से दिल की बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। बढ़ते हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामलों को देखते हुए सावधानी बरतना और जरूरी हो जाता है। आइए जानते हैं, अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

Air Pollution

सर्दियों में क्यों बढऩे लगता है प्रदूषण
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए 2019 के एक अध्ययन से पता चला है कि ट्रैफिक सिग्नल पर इंजन चालू रखने से प्रदूषण का स्तर 9 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है. वहीं, पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली के लिए किए गए उत्सर्जन सूची और स्रोत विभाजन अध्ययनों की एक श्रृंखला से पता चला है कि राजधानी में पीएम 2.5 उत्सर्जन में सड़क पर वाहनों से निकलने वाले धुएं का हिस्सा 9 प्रतिशत से 38 प्रतिशत तक है.
प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के अलावा, पटाखों और धान की पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन का मिश्रण, हर साल दिवाली के आसपास दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देता है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में 1 नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में सबसे ज्यादा तेजी देखी जाती है.  NCR Pollution :

वायु प्रदूषण से कैसे बचा जा सकता है?
मास्क पहनें
बाहर निकलते समय हमेशा मास्क पहन कर निकलें। मास्क पहनने से हवा में मौजूद छोटे-छोटे पार्टिकल्स फिल्टर हो जाएंगे। इसलिए घर से निकलते समय हमेशा मास्क पहन कर रखें। खासकर बच्चों और बूढ़ों को बिना मास्क के बाहर न निकलने दें।

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स्मोकिंग न करें
स्मोक करना आपके फेफड़ों के लिए श्राप से कम नहीं होता। इससे लंग्स कैंसर होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। स्मोकिंग से लंग्स की हवा फिल्टर करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है, जो बढ़ते प्रदूषण में और खतरनाक साबित हो सकता है। सेकेंड हैंड स्मोक यानी किसी और द्वारा छोड़े गए सिग्रेट के धुएं से भी बचें। यह भी लंग्स के लिए स्मोकिंग जितना ही हानिकारक होता है।

इंडोर प्लांट्स लगाएं
अपने घर के अंदर स्नेक प्लांट, मनी प्लांट जैसे कुछ पौधे लगा सकते हैं, जिससे आपके घर के अंदर की हवा शुद्ध होगी। इसके लिए आप वर्टिकल गार्डनिंग तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आप कम जगह में ज्यादा पौधे लगा पाएंगे।

एक्सरसाइज करें
एक्सरसाइज करने से आपके लंग्स मजबूत होते हैं। इसमें योग और प्राणायाम काफी मदद कर सकते हैं। यह आपके लंग्स की क्षमता को बढ़ाते हैं और लंग्स में होने वाली बीमारियों के खतरे को भी कम करते हैं।

बेवजह बाहर न जाएं
प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कोशिश करें कि जरूरत न हो, तो घर से बाहर न निकलें। मास्क पहनने से भी एक हद तक की ही सुरक्षा मिल सकती है। इसलिए कोशिश करें कि बाहर कम से कम निकलें।

एयर प्यूरीफायर
अपने घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं। यह हवा में मौजूद प्रदूषण को फिल्टर कर आपको साफ हवा देता है। यह बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं, बूढ़ों और मरीजों के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। साथ ही वेंटिलेशन का भी ध्यान रखें। कोशिश करें कि उन समय में जब प्रदूषण कम होता है, तब खिड़की दरवाजे खोलकर ताजी हवा आने दें।

हवा की क्वालिटी चेक करें

आपके क्षेत्र का एक्यूआई लेवल कितना होता है, इसका पता लगाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आप पता लगा पाएंगे कि बाहर कितना प्रदूषण है और आप उस हिसाब से बाहर जाने का समय और वेंटिलेशन के लिए खिड़की दरवाजे भी खोल पाएंगे।

हर साल 15 लाख मौतें
प्रदूषण चाहे किसी भी तरह का हो इंसानों के साथ-साथ जानवरों के लिए नुकसानदेह है। प्रदूषण बढऩे के कारण लोग अब ज्यादा बीमार हो रहे है और यह बीमारी लोगों की जान तक ले रहा है। कनाडा के शोधकर्ताओं ने हाल ही में प्रदूषण को लेकर चौंकाने वाले दावे किए है। शोधकर्ताओं ने बताया कि प्रदूषण के कारण दुनियाभर में हर साल 15 लाख लोगों की मौत समय से पहले हो जाती है।  शोधकर्ताओं ने बताया कि दुनियाभर में हर साल 15 लाख लोगों की समय से पहले मृत्यु की वजह महीन प्रदूषण कण (पीएम 2.5) हो सकते हैं। वहीं, अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदूषण का कम स्तर सोच से कहीं अधिक खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के हाल के आकलन के अनुसार, हर साल वायु प्रदूषण के बारीक कणों से लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण 42 लाख से अधिक लोगों की समय से पहले मृत्यु हो जाती है।

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