Narada Jayanti: पत्रकार लोक कल्याण के लिए सकारात्मक खबरों पर काम करें : डॉ. मयंक चतुर्वेदी

Narada Jayanti:

Narada Jayanti: झांसी। विश्व संवाद केंद्र के तत्वावधान में नारद जयंती समारोह समिति झांसी महानगर द्वारा आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जयंती बुन्देलखण्ड महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में पत्रकार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संयोजक जल जन जोड़ों अभियान व सदस्य वर्ड वाटर काउंसिल डा संजय सिंह रहे। मुख्य वक्ता के रूप में प्रदेश प्रभारी मप्र हिंदुस्थान समाचार एजेंसी व फिल्म सेंसर बोर्ड के सलाहकार समिति भारत सरकार के सदस्य डॉ. मयंक चतुर्वेदी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बीकेडी प्राचार्य डा एसके राय ने की । संचालन कार्यक्रम संयोजक महेश पटेरिया ने किया।

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सर्व प्रथम अतिथियों द्वारा मां सरस्वती, महर्षि नारद जी व वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के चित्रों पर माल्यार्पण,दीप प्रज्वलन के बाद सरिता सोनी द्वारा मां सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। राजेश तिवारी ने देवर्षि नारद जी पर लिखे गीत की सुंदर प्रस्तुति दी।

मुख्य अतिथि डा संजय सिंह ने ने कहा कि नारद जी ने खबरों का आदान-प्रदान कर पत्रकारिता का सूत्रपात किया था,जिसका निर्वाहन आज संघर्षशील मीडिया द्वारा बखूबी निभाया जा रहा है। पत्रकारों के सामने भी चुनौतियां हैं, सोशल मीडिया ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है, जिसके चलते पत्रकारों को संवेदनशीलता से दायित्वों का निर्वहन करना होगा।

मुख्य वक्ता डा मयंक चतुर्वेदी ने कहा कि नारद जी की परंपरा वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के रूप में भी दिखाई देती है, क्योंकि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग का आगाज किए जाने पर खबर आग की तरह झांसी से मेरठ तक जा पहुंची जहां मंगल पांडे ने क्रान्ति का शंखनाद किया और वहां से दिल्ली के बाद सारे देश में क्रान्ति की ज्वाला भड़क उठी।

उन्होंने कहा कि फिल्मों व टीवी सीरियलो में नारद जी के चरित्र का गलत तरीके से चित्रांकन किया गया। सही मायने में उत्तर प्रदेश से ही नारद जी को आदर्श के रूप स्थापित किया गया, लखनऊ से प्रारंभ नारद जयंती देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाई जाने लगी है, वह देवताओं के देवर्षि है,जिस तरह नारद जी देवताओं से लेकर दानवों तक के संदेश वाहक रहे है। उसी प्रकार आज मीडिया भी शासन, प्रशासन व समाज के बीच समन्वयक हैं।

उन्होंने नारद शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि यदि उस समय आज की भांति मीडिया होता तो अंग्रेजों को देश छोड़ने में इतना समय नहीं लगता। देश का मीडिया बहुत सशक्त है। सच को निर्भीकता से सामने रखते हुए पत्रकार राजसत्ता से भी टकराने से पीछे नहीं हटते हैं। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि नारद जी ने लोक कल्याण के लिए पत्रकारिता की। पत्रकार लोक कल्याण के लिए सकारात्मक खबरों पर काम करें, समाज की ज्वलंत समस्याओं को निडरता से उजागर करें, तभी यह नारद जयंती मनाना सार्थक होगा, उन्होंने जल संचयन व वृक्षारोपण करने का संकल्प लेने का आव्हान भी किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीकेडी प्राचार्य डा एसके राय ने कहा कि बेबाकी से देवताओं से लेकर असुरों के बीच पहुंच कर संवाद करने वाले नारद जी के सही चरित्र को सामने लाना बेहद जरूरी है। समाज में अत्यंत कठिनाई व चुनौतियां हैं, जिन्हें उजागर करना एक कठिन काम है, लेकिन सच सामने लाने के लिए डरना नहीं है, कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, सबसे महत्वपूर्ण भूमिका चौथे स्तंभ की ही होती है,समाज व राष्ट्र आपसे बहुत अपेक्षाएं करता है। अपेक्षाएं तो बहुत है लेकिन संवैधानिक तो दूर मीडिया को आज तक वैधानिक दर्जा भी नहीं मिल सका है। पत्रकारों को आर्थिक सबलता और सामाजिक सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने देश में शिक्षा व्यवस्था के पूंजीपतियों के हाथ में जाने से व्यवसायीकरण पर चिंता जताते हुए शिक्षण संस्थानों को सुव्यवस्थित किए जाने पर भी जोर दिया।

इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह यादव, झांसी मीडिया क्लब अध्यक्ष मुकेश वर्मा, इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन जिलाध्यक्ष राजेश कुमार चौरसिया, हेमन्त गुप्ता आदि ने स्मृति चिन्ह भेंट कर व शाल ओढ़ाकर अतिथियों का स्वागत व सम्मान किया। सभी का आभार जितेंद्र मिश्रा ने व्यक्त किया।

इस दौरान राज्य बाल आयोग सदस्या मप्र डॉ.निवेदिता शर्मा, विभाग प्रचार प्रमुख मनोज टाटा,उपजा जिलाध्यक्ष सोनिया पाण्डे, वरिष्ठ पत्रकार राम सेवक अड़जरिया, शीतल तिवारी, प्रभात सक्सेना, रिपूसूदन नामदेव, देवेन्द्र शुक्ला, रवि शर्मा, दीपचंद चौबे, लक्ष्मीनारायण शर्मा, अमित सोनी, रोहित झा, रानू साहू, वैभव सिंह, दीपक त्रिपाठी,मानव,उपेन्द्र आदि उपस्थित रहे।

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