Noida News: इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी ईडी नोएडा प्राधिकरण के घोटालों की परते खोल रही है। वैसे तो माना जाता है कि ईडी भ्रष्टाचार पर कोई खास कार्रवाई नहीं करती, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में किसी को छोड़ती भी नहीं। नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिन्दर सिंह पर लगातार शिकंजा कसता जा रहा है। माना जा रहा है कि घोटाले और बेईमानों के सरदार मोहिन्दर सिंह थे लेकिन उनके प्यादे कौन कौन थे? इसका भी पता लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मोहिन्दर सिंह के साथ कुछ बिल्डरों ने मिलकर प्राधिकरण को अरबों रुपये का चूना लगाया। अब इन सब मामलों में जांच के बाद परतें खुलनी शुरू हो चुकी है।
हैसिंडा कंपनी ने बड़ा फर्जीवाड़ा
हैसिंडा कंपनी ने नोएडा में निवेशकों के साथ साथ प्राधिकरण के भी 107 करोड़ डकार लिए, प्राधिकरण को यह रकम किसानों को मुआवज़े के रूप में देनी थी। क्योंकि प्राधिकरण ने जमीन अधिग्रहण किया था साठगांठ देखिए प्राधिकरण को 107 करोड़ लेने थे। नोटिस जारी किया गया लेकिन 1 करोड़ 20 लाख रुपये कंपनी ने प्राधिकरण में जमा कराए। ईडी की जांच में सामने आया है कि हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए की गई थी। ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस के तहत उसे स्पेशल परपस कंपनी बनाया गया था। कंपनी के निदेशकों ने खुद को बचाने के लिए स्टोर कीपर को ही कंपनी की कमान सौंप दी। स्टोर कीपर आनंद राम को जब अदालत में तलब किया गया तो उसने बता दिया कि वो तो मामूली सा कर्मचारी हैं। कंपनी का संचालन निर्मल सिंह सुप्रीत सिंह सूरी और विधुर भारद्वाज करते हैं। ज्ञात पत्र देने के बाद भी तीनों कंपनी को सँभालते थे।