घटना की शुरुआत 13 दिसंबर को विवेकानंद युवा भारती क्रीड़ांगन (सॉल्ट लेक स्टेडियम) में हुई, जहां मेसी का कार्यक्रम आयोजित था। हजारों प्रशंसकों ने ऊंची कीमत वाले टिकट (कुछ 15,000 रुपये तक) खरीदे थे, लेकिन मेसी के मात्र 20 मिनट में स्टेडियम छोड़ने और VIP तथा राजनेताओं से घिरे रहने के कारण दर्शक उन्हें ठीक से देख भी नहीं पाए। गुस्साए प्रशंसकों ने बोतलें फेंकीं, कुर्सियां तोड़ीं, गोलपोस्ट के जाल फाड़े और स्टेडियम में तोड़फोड़ की, जिससे करीब 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आरोप लगे कि खेल मंत्री अरूप बिस्वास और अन्य प्रभावशाली लोग मेसी के आसपास घेरे बनाए रखे रहे, जिससे आम दर्शकों को निराशा हुई। कार्यक्रम के आयोजक सतद्रु दत्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटना पर गहरी नाराजगी जताई, मेसी और प्रशंसकों से सार्वजनिक माफी मांगी और सेवानिवृत्त जज असीम कुमार रॉय की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की। इसके अलावा, एक विशेष जांच दल (SIT) भी बनाया गया है, जिसमें कई IPS अधिकारी शामिल हैं।
राजनीतिक रूप से भी मामला गरमा गया है। भाजपा ने ममता सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए मंत्री की गिरफ्तारी और टिकटों की पूरी राशि वापस करने की मांग की। विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी ने इसे बंगाल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी बताया। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने इस्तीफे की पुष्टि की और इसे नैतिक जिम्मेदारी लेने का कदम बताया।
यह घटना मेसी के भारत दौरे की शुरुआत में ही विवादास्पद हो गई, जबकि दौरा हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली में भी जारी रहा, जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई का इंतजार है।

