ब्रिटेन समेत कई देशो ने दिया फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा, क्या अब बदलेगी गाजा की जमीनी हकीकत?

Many countries, including Britain, have granted Palestine statehood: ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने रविवार को ऐतिहासिक घोषणा करते हुए यूनाइटेड किंगडम द्वारा फिलिस्तीन राज्य की औपचारिक मान्यता की पुष्टि की। यह कदम 1917 के बाल्फोर घोषणापत्र के 108 वर्ष बाद आया है, जब ब्रिटेन ने फिलिस्तीन में यहूदियों के लिए एक राष्ट्रीय घर की स्थापना का समर्थन किया था। स्टार्मर ने कहा कि यह निर्णय “शांति की उम्मीद को जीवित रखने” और दो-राज्य समाधान को मजबूत करने के लिए लिया गया है, लेकिन उन्होंने जोर दिया कि हमास जैसे आतंकी संगठन को फिलिस्तीनी सरकार में कोई भूमिका नहीं मिलेगी।

यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की 80वीं बैठक से ठीक पहले आई है, जहां 23 सितंबर से विश्व नेता इकट्ठा हो रहे हैं। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने भी रविवार को फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा दिया, जबकि फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, माल्टा और संभवतः न्यूजीलैंड तथा लिक्टेनस्टीन सोमवार को इसी कदम की घोषणा करने वाले हैं। फिलिस्तीन को अब तक संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 147 ने मान्यता दी है।

गाजा में क्या बदलाव आएगा?
स्काई न्यूज के पत्रकार ताम कोहेन ने पूछा था कि क्या यह मान्यता गाजा की जमीनी स्थिति को बदल पाएगी? विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम प्रतीकात्मक है और तत्काल सैन्य या राजनीतिक बदलाव नहीं लाएगा। फिलिस्तीन का राज्य अभी भी स्पष्ट सीमाओं, राजधानी और सेना के बिना है, क्योंकि वेस्ट बैंक में इजरायली कब्जा और गाजा में हमास का नियंत्रण बना हुआ है। हालांकि, यह कदम गाजा युद्ध को समाप्त करने और शांति प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए दबाव बढ़ा सकता है।
बीबीसी के अनुसार, यह मान्यता “गाजा युद्ध को समाप्त करने और उसके बाद की राजनीतिक प्रक्रिया पर विचार करने” में मदद करेगी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और पुर्तगाल जैसे इजरायली सहयोगी देशों की यह घोषणा इजरायल की गाजा और वेस्ट बैंक में कार्रवाई से उपजी निराशा को बखूबी दर्शा रही है। डीडब्ल्यू के विश्लेषण में कहा गया कि यह “राजनीतिक थिएटर” लग सकता है, लेकिन फिलिस्तीनी अधिकार समर्थक इसे पहला कदम मानते हैं, जो हथियार प्रतिबंध जैसे ठोस उपायों की ओर ले जा सकता है।

गाजा में इजरायली सैन्य अभियान के कारण 65,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने इसे नरसंहार करार दिया है। मान्यता से फिलिस्तीनी प्राधिकरण को राजनयिक संपर्क मजबूत करने में मदद मिलेगी, लेकिन इजरायल का कब्जा बरकरार रहेगा।

इजरायल और हमास की प्रतिक्रिया
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे “आतंकवाद को बड़ा इनाम” बताया और कहा कि फिलिस्तीनी राज्य “कभी नहीं बनेगा।” हमास ने इसे “जीत” घोषित किया, दावा करते हुए कि 7 अक्टूबर 2023 के हमले का एक लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मान्यता था। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट्स में कुछ यूजर्स ने स्टार्मर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, जबकि अन्य ने इसे ब्रिटिश जनता के समर्थन के बिना लिया गया कदम बताया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी विरोध जताया, इसे स्टार्मर के साथ “हमारी कुछ असहमतियों” में एक बताते हुए। स्टार्मर ने स्पष्ट किया कि हमास को “कोई भविष्य नहीं” होगा और ब्रिटेन हमास नेताओं पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाएगा।

ब्रिटेन में राजनीतिक दबाव
स्टार्मर पर लेबर पार्टी के सांसदों का दबाव था, जिनमें कैबिनेट के एक तिहाई सदस्य शामिल थे। जुलाई में उन्होंने कहा था कि अगर इजरायल युद्धविराम और दो-राज्य समाधान पर सहमत न हुआ, तो मान्यता दी जाएगी। गार्जियन के अनुसार, यह कदम घरेलू राजनीतिक तनाव कम करने और शांति के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने का प्रयास है।

आगे क्या?
फ्रांस और सऊदी अरब की अगुवाई में सोमवार को यूएन सम्मेलन में गाजा युद्ध समाप्ति और फिलिस्तीनी राज्य स्थापना पर चर्चा होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मान्यता दो-राज्य समाधान को मजबूत करेगी, लेकिन वास्तविक बदलाव के लिए इजरायल को कब्जा छोड़ना और फिलिस्तीनी प्राधिकरण को मजबूत करना जरूरी है। फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने इसे “साहसी कदम” कहा, लेकिन इजरायली बस्तियां बढ़ने से चिंता बनी हुई है।

यह घटना इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के लंबे इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है, जहां 1948 से विस्थापन और युद्ध जारी हैं। क्या यह शांति की दिशा में वास्तविक मोड़ साबित होगा, समय बताएगा।

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