पतंजलि को बड़ा झटका: दो लैब टेस्ट में फेल, कोर्ट ने लगाया लाखों का जुर्माना

Patanjali/Dehradun/Pithoragarh News: योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गई है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में पतंजलि के ‘गाय का घी’ के सैंपल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे। दो प्रमुख लैबों—रुद्रपुर (उत्तराखंड) और गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) की नेशनल फूड लैब—में टेस्ट फेल होने के बाद अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कंपनी समेत तीन पक्षों पर कुल 1 लाख 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने इसे ‘खाने लायक नहीं’ करार देते हुए सख्त चेतावनी भी जारी की है।

यह मामला 20 अक्टूबर 2020 का है, जब पिथौरागढ़ के कासनी स्थित करन जनरल स्टोर से खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने पतंजलि गाय के घी का सैंपल लिया था। प्रारंभिक जांच में रुद्रपुर की राज्य प्रयोगशाला ने इसे खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSA) 2006 के मानकों से नीचे पाया। रिपोर्ट में घी की RM वैल्यू (रेफ्रेक्टिव इंडेक्स, जो अस्थिर फैटी एसिड के स्तर को दर्शाती है) में विसंगति उजागर हुई, जो मिलावट या घटिया गुणवत्ता का संकेत देती है। पतंजलि की ओर से आपत्ति पर सैंपल को री-टेस्ट के लिए गाजियाबाद भेजा गया, जहां 26 नवंबर 2021 को आई रिपोर्ट में भी वही खामियां सामने आईं।

दोनों लैब रिपोर्ट्स की स्टडी के बाद 17 फरवरी 2022 को मामला कोर्ट पहुंचा। लगभग 1,348 दिनों (करीब चार साल) चली सुनवाई के दौरान पतंजलि ने लैबों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए और दावा किया कि RM वैल्यू में मामूली अंतर प्राकृतिक हो सकता है। हालांकि, खाद्य सुरक्षा अधिकारी दिलीप जैन ने कोर्ट में मजबूत सबूत पेश किए, जिसमें सैंपल की चेन ऑफ कस्टडी और टेस्टिंग प्रक्रिया की पारदर्शिता शामिल थी।

गुरुवार (27 नवंबर 2025) को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड पर 1 लाख रुपये, डिस्ट्रीब्यूटर ब्रह्म एजेंसी पर 25 हजार रुपये और खुदरा विक्रेता करन जनरल स्टोर पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही, सभी पक्षों को भविष्य में FSSA का सख्त पालन करने का आदेश दिया गया।

पतंजलि आयुर्वेद ने फैसले पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘त्रुटिपूर्ण और विधि-विरुद्ध’ बताया। कंपनी के बयान में कहा गया, “यह पुराना मामला (2020 का) है, जिसमें घी को कहीं भी ‘हानिकारक’ नहीं कहा गया। RM वैल्यू में नाममात्र का अंतर प्राकृतिक कारणों से हो सकता है। लैबों की मान्यता और प्रक्रिया पर सवाल हैं, जिसे हम उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।”

कंपनी ने उपभोक्ताओं से आश्वासन दिया कि उनके उत्पाद शुद्ध हैं और वे हमेशा आयुर्वेदिक मानकों का पालन करते हैं।
यह घटना पतंजलि के लिए एक और झटका है, जो पहले भी उत्पाद गुणवत्ता और विज्ञापन दावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में रही है। 2022 में भी उत्तराखंड के टिहरी में पतंजलि घी के सैंपल मिलावटी पाए गए थे, जबकि हाल ही में आगरा में नकली घी का रैकेट पकड़ा गया, जिसमें पतंजलि ब्रांड का नाम इस्तेमाल हो रहा था। खाद्य सुरक्षा विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर आरके शर्मा ने कहा, “यह कार्रवाई उपभोक्ता सुरक्षा के लिए है। हम अन्य जिलों में भी पतंजलि उत्पादों की जांच बढ़ाएंगे।”

उपभोक्ता संगठनों ने इसे स्वागतयोग्य कदम बताया, लेकिन मांग की है कि राष्ट्रीय स्तर पर पतंजलि के सभी उत्पादों की तत्काल जांच हो। विशेषज्ञों का मानना है कि घी जैसे दैनिक उपयोग वाले उत्पादों में मिलावट स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है, जैसे पाचन संबंधी समस्याएं या लंबे समय में हृदय रोग। फिलहाल, पतंजलि ने जुर्माना जमा करने की समयसीमा मांगी है और अपील की तैयारी कर रही है। यह मामला उपभोक्ता विश्वास और ब्रांड जिम्मेदारी पर बहस छेड़ सकता है।

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