Maharashtra में फिर गहराया संकट,राज्यपाल की भूमिका पर सवाल
Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र के शिवसेना विवाद पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कई सवाल किए। सीजेआई ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor Bhagat Singh Koshyari) ने जल्दबाजी में विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला किया। उनके इस फैसले के कारण उनकी भूमिका पर कई सवाल खड़े होते हैं।
मालूम हो कि महाराष्ट्र में शिवसेना विवाद मामले की सुनवाई सीजेआई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ कर रही है। मामले में 5 याचिकाएं दायर हुई हैं।
राज्यपाल पर क्या-क्या कहा…
सवाल है कि राज्यपाल सिर्फ इसलिए सरकार गिरा सकते हैं क्योंकि किसी विधायक ने उनसे कहा कि उसके जीवन और संपत्ति को बहुत खतरा है।
विश्वास मत क्यों बुलाया? क्या कोई संवैधानिक संकट था? किसी की सुरक्षा विश्वास मत बुलाने का आधार नहीं हो सकता।
राज्य की सरकार को गिराने में राज्यपाल अपनी मर्जी से सहयोगी नहीं हो सकते। लोकतंत्र में यह एक दुखद तस्वीर है।
राज्यपाल को खुद से यह पूछना चाहिए कि 3 साल का खुशहाल रिश्ता एक रात में कैसे टूट गया। राज्यपाल बेखबर नहीं हो सकते।राज्यपाल कोश्यारी का बचाव करते हुए ैळ मेहता ने कहा- शिवसेना विधायक दल ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को नेता चुना था। इसलिए राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया था। 25 जून को 38 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र राज्यपाल के पास पहुंचा। बताया गया कि उनकी जान को खतरा है। कुछ न्यूज चैनलों के क्लिप भी दिए गए। छोटे दलों के 38 विधायक और निर्दलीय समेत 47 विधायकों ने राज्यपाल को धमकियों की जानकारी दी। इन विधायकों ने तत्काल सुरक्षा की मांग की थी।
यह भी पढ़े:Delhi Metro का ऐलान, रील बनाना सख्त मना है
Maharashtra: भाजपा विधायक दल ने 28 जून को राज्यपाल को लेटर भेजा था। इस पर देवेंद्र फडणवीस के हस्ताक्षर थे। इसमें लिखा था कि ठाकरे सरकार के पास बहुमत नहीं है। ठाकरे सरकार दल-बदल कानून और शक्तियों का दुरुपयोग करके कुछ विधायकों को अयोग्य घोषित करने का प्रयास कर रही है। इसी पत्र में फ्लोर टेस्ट की मांग भी की गई थी।
सीजेआई के रातों-रात गठबंधन टूटने के सवाल पर तुषार मेहता ने कहा- इसका जवाब देना मेरा काम नहीं है। यह एक राजनीतिक बहस का मुद्दा है। मेहता ने यह भी कहा कि शिंदे गुट के विधायकों को धमकी दी जा रही थी। ऐसे में क्या गवर्नर चुपचाप होकर बैठे रहते।