लखनऊ: काकोरी मंदिर में दलित बुजुर्ग के साथ अपमानजनक व्यवहार गालियाँ दी पिलाया मूत्र, आरोपी हुआ गिरफ्तार

Lucknow/Kakori Temple News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के काकोरी इलाके में स्थित एक मंदिर में एक दलित बुजुर्ग के साथ कथित तौर पर अपमानजनक व्यवहार का मामला सामने आया है। पीड़ित रामपाल (उम्र 60-65 वर्ष) को आरोपी ने मंदिर परिसर में गिरी हुई पानी की बूंदों को चाटने या चखने के लिए मजबूर किया, यह मानते हुए कि यह मूत्र है। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार, घटना सोमवार (20 अक्टूबर) को काकोरी के शीतला माता मंदिर में हुई। रामपाल, जो हटा हजरत साहब के निवासी हैं और सांस की पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं, मंदिर में आराम कर रहे थे। विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक, या तो उनकी पानी की बोतल से पानी गिर गया या फिर उनकी बीमारी के कारण अनजाने में मूत्र गिर गया। आरोपी स्वामी कांत उर्फ पम्मू (62 वर्ष), जो पिछड़ी जाति से हैं और इलाके के निवासी हैं, ने इसे मूत्र मानकर रामपाल पर जातिगत गालियां दीं, मारपीट की और उन्हें जमीन चाटने या उंगली से चखकर साबित करने को मजबूर किया कि यह मूत्र नहीं है।

पीड़ित की शिकायत के अनुसार, आरोपी ने उन्हें धमकी दी और अपमानित किया। रामपाल ने अगले दिन रिश्तेदारों के साथ काकोरी थाने में शिकायत दर्ज कराई। काकोरी के एसएचओ सतीश चंद्रा ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के अलावा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं लगाई गई हैं। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और जांच जारी है।

पूछताछ में आरोपी ने दावा किया कि उसने केवल पानी को छूने के लिए कहा था, जबकि पीड़ित और गवाहों का कहना है कि उन्हें चाटने या चखने के लिए मजबूर किया गया। रामपाल के पोते मुकेश कुमार ने बताया कि उनके दादा की सांस की समस्या के कारण ऐसा हुआ हो सकता है, और आरोपी ने उन्हें डराकर यह करवाया।

यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, जहां कई यूजर्स ने इसे जातिवाद का उदाहरण बताते हुए निंदा की है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट्स में इसे “मानवता पर कलंक” बताया गया। एक पोस्ट में लिखा गया, “काकोरी मंदिर में दलित बुजुर्ग को मूत्र चाटने के लिए मजबूर किया गया; आरोपी गिरफ्तार।”

राजनीतिक दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, “किसी की गलती के लिए अपमानजनक या अमानवीय सजा नहीं दी जानी चाहिए। बदलाव ही बदलाव ला सकता है।” वहीं, कांग्रेस ने इसे

“आरएसएस-बीजेपी की दलित-विरोधी मानसिकता” का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह “संविधान को खत्म कर मनुवाद लागू करने की साजिश” है। पुलिस ने आरोपी के किसी संगठन से जुड़े होने से इनकार किया है।

यह घटना उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामलों को फिर से उजागर करती है। पुलिस ने कहा कि जांच पूरी होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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