लखनऊ कोर्ट ने अंजना ओम कश्यप के खिलाफ केस दर्ज करने का दिया आदेश, भड़काऊ कार्यक्रम का लगा आरोप

Lucknow/Anjana Om Kashyap News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक अदालत ने मशहूर न्यूज़ एंकर और आज तक चैनल की पत्रकार अंजना ओम कश्यप के खिलाफ परिवाद दर्ज करने का आदेश दिया गया है। यह कार्रवाई आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की शिकायत के आधार पर की गई है। ठाकुर ने आरोप लगाया है कि अंजना ओम कश्यप ने 14 अगस्त 2025 को आज तक के ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ कार्यक्रम में ‘भारत विभाजन का मकसद पूरा क्यों नहीं हुआ’ शीर्षक के तहत ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया, जिससे सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा मिला और देश की एकता व अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय की अदालत ने इस मामले में शिकायत को स्वीकार करते हुए परिवाद दर्ज करने का आदेश दिया और वादी के बयान के लिए 30 सितंबर 2025 की तारीख निर्धारित की है। शिकायत में भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म के आधार पर समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना) और धारा 197 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के तहत कार्रवाई की मांग की गई है।

कार्यक्रम पर विवाद और सामाजिक प्रतिक्रिया
14 अगस्त 2025 को प्रसारित इस कार्यक्रम में अंजना ओम कश्यप ने भारत के विभाजन के धार्मिक आधार पर चर्चा की थी, जिसमें यह दावा किया गया कि केवल 9.6 मिलियन मुस्लिम पाकिस्तान गए, जबकि बड़ा उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। कार्यक्रम में ऐतिहासिक तथ्यों, दृश्यों और कथनों का उपयोग किया गया, जिसमें यह भी उल्लेख किया गया कि यदि मुहम्मद अली जिन्ना की स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी पहले होती, तो शायद विभाजन टल सकता था।

इस शो को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सराहा, जबकि कई अन्य, विशेष रूप से कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाला करार दिया। एक ट्वीट में अशोक कुमार पांडेय ने लिखा, “भारत विभाजन जिन्ना और सावरकर का मकसद था, जिसे इस देश की जनता ने पूरा नहीं होने दिया। सवाल यह है कि जिन्ना का मकसद पूरा न होने पर अंजना क्यों दुखी हैं?” वहीं, INC न्यूज़ नामक हैंडल ने कार्यक्रम को नफरत फैलाने वाला बताते हुए आज तक से माफी की मांग की।

पुलिस ने नहीं दर्ज की थी FIR
अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में पहले लखनऊ के गोमती नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया। इसके बाद ठाकुर ने कोर्ट का रुख किया, जिसके परिणामस्वरूप यह आदेश जारी हुआ। ठाकुर ने सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत को सार्वजनिक करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस और अन्य अधिकारियों को टैग किया था।

सार्वजनिक बहस और गोदी मीडिया पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर ‘गोदी मीडिया’ के कथित पक्षपातपूर्ण रवैये पर बहस छेड़ दी है। कई सोशल मीडिया यूजर्स और संगठनों ने आरोप लगाया कि कुछ न्यूज़ चैनल और एंकर जानबूझकर धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। ट्वीट्स में दावा किया गया कि अंजना ओम कश्यप जैसे एंकर “नफरत की पत्रकारिता” कर रहे हैं और इससे देश में तनाव बढ़ सकता है।
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह के कार्यक्रम ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाने का प्रयास करते हैं और इन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में देखा जाना चाहिए। इस मामले ने पत्रकारिता की नैतिकता और जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए हैं।

अंजना ओम कश्यप का पक्ष
इस मामले में अंजना ओम कश्यप या आज तक की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यह देखना बाकी है कि वह या उनकी टीम इस कानूनी कार्रवाई का जवाब कैसे देती है।

आगे की कार्रवाई
लखनऊ कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 30 सितंबर 2025 की तारीख तय की है। तब तक यह मामला मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना रहेगा। यह घटना न केवल पत्रकारिता के दायरे में बल्कि सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण सवाल उठाती है।

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