Lok Sabha Elections 2024 : BSP की दम-खम के साथ अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति का उल्टा असर

Lok Sabha Elections 2024 :
  • शून्य पर सिमटी बसपा, प्रदेश की 80 सीटों पर किसी भी सीट पर नंबर दो पर भी नहीं

Lok Sabha Elections 2024 : लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (BSP) को लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद उसकी वजहों को तलाशा जाने लगा है। पूरे दम-खम के साथ अकेले चुनाव लड़ने की बसपा की रणनीति का उल्टा असर रहा और पार्टी को अपने इतिहास की सबसे करारी हार का सामना करना पड़ गया। बसपा यूपी की 80 में से 80 सीटें हार गई है। अब इन हार की वजहों को तलाश जा रहा है। गठबंधन को लेकर मायावती (BSP) की हठ ने दलित वोट को बिखरने पर मजबूर कर दिया, जिसका फायदा विपक्षी दलों को हुआ। बसपा की हार की सात वजहों पर गौर करें तो तस्वीर साफ हो जाती है। दरअसल, बसपा की हार की पहली वजह कार्यकतार्ओं से दूरी है। पार्टी के शीर्ष नेता पांच साल तक खुद को बंद कमरे में समेटे रहे, जिसकी वजह से कार्यकतार्ओं के बीच उनकी पकड़ कमजोर पड़ती गयी।

Lok Sabha Elections 2024 :

पार्टी का चुनाव अकेले लड़ना दूसरी वजह माना जा सकता है। बसपा ने बदलते चुनावी समीकरणों से सबक नहीं लेते हुए अकेले दम पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई, जो उसकी जीत की राह का रोड़ा बन गयी।जानकारों की माने तो तीसरी वजह पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूला का फेल होना बताया जा रहा है। भाजपा विजय रथ को यूपी में रोकने और सपा प्रत्याशियों की जीत में रोड़ा अटकाने के लिए जिन प्रत्याशियों का चयन किया गया, वह चुनाव में नाकाम साबित हुए। चौथी वजह बसपा के युवा चेहरे आकाश आनंद को चुनावी परिदृश्य से बाहर करना है। आकाश की जनसभाओं में भीड़ उमड़ रही थी, लेकिन उनके एक भड़काऊ भाषण ने उसकी सियासी तकदीर को बदल दिया। इसका असर युवा कार्यकर्ताओं पर हुआ और वह आजाद समाज पार्टी को बतौर विकल्प देखने लगे। Bahujan samaj party

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सांसदों पर भरोसा नहीं करना भी हार की बड़ी वजह
पांचवीं वजह बसपा का अपने सांसदों पर भरोसा नहीं करना मानी जा सकती है। बसपा ने अपने आठ वर्तमान सांसदों को टिकट नहीं दिया, जिसकी वजह से वह अन्य दलों में चले गए। छठी वजह पार्टी शीर्ष नेतृत्व का चंद पदाधिकारियों पर भरोसा करना रहा। जोनल कोआर्डिनेटर टिकट फाइनल करते रहे और शीर्ष नेतृत्व बिना सोचे-समझे उस पर मुहर लगाता रहा। पिछले विधानसभा के चुनाव से नहीं लिया कोई सबक सातवीं वजह से वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से सबक नहीं लेना रहा। पार्टी ने यह चुनाव भी अकेले ही लड़ा था, जिसके बाद उसका केवल एक विधायक ही जीत सका था।

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