जानिए क्या होगा शेख हसीना का, दमन के आरोप में मिली मौत की सजा

International Crimes Tribunal News: बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। 78 वर्षीय हसीना पर 2024 के छात्र-नेतृत्व वाले जुलाई विद्रोह के दौरान सुरक्षाबलों द्वारा निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर घातक दमन का आदेश देने का आरोप था, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार 1,400 से अधिक लोग मारे गए थे। यह फैसला हसीना की अनुपस्थिति में सुनाया गया, क्योंकि वह अगस्त 2024 से भारत में निर्वासन में रह रही हैं।

ट्रिब्यूनल के तीन सदस्यीय पीठ ने हसीना को उकसाव, हत्या के आदेश देने और अपराधों को रोकने में विफलता सहित तीन प्रमुख आरोपों में दोषी पाया। न्यायाधीश गोलम मॉर्टुजा मोजुमदार ने फैसले की पुष्टि करते हुए कहा, “आरोपी प्रधानमंत्री ने ड्रोन, हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया, जो मानवता के खिलाफ अपराध है।” पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल को भी फांसी की सजा सुनाई गई, जबकि पूर्व पुलिस महानिदेशक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को राज्य गवाह बनने पर केवल पांच वर्ष की कैद की सजा दी गई।

मुख्य आरोप और मुकदमे का विवरण
मुकदमा 8,747 पृष्ठों के औपचारिक आरोप-पत्र पर आधारित था, जिसमें पांच प्रमुख आरोप शामिल थे:
1. उकसाव और सहायता: 14 जुलाई 2024 को हसीना के भाषण ने कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों पर हमलों को भड़काया।
2. घातक हथियारों से नरसंहार: हेलीकॉप्टर, ड्रोन और लाइव गोलीबारी के आदेश दिए गए।
3. अबू सईद की हत्या: 16 जुलाई 2024 को बेगम रोकेया विश्वविद्यालय के छात्र की करीब से गोली मारकर हत्या।
4. चांखारपुल हत्याकांड: 5 अगस्त 2024 को ढाका में छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की गोलीबारी से हत्या।
5. अशुलिया सामूहिक हत्याकांड: उसी दिन छह प्रदर्शनकारियों की हत्या, जिनमें से पांच शव जला दिए गए।

अभियोजकों ने हसीना को “मास्टरमाइंड” करार दिया और पीड़ित परिवारों के लिए संपत्ति जब्ती की मांग की। फैसला 453 पृष्ठों का था, जो राज्य टेलीविजन बीटीवी पर लाइव प्रसारित किया गया।

हसीना का विरोध और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
हसीना ने फैसले को “पूर्व-निर्धारित” और “राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताते हुए खारिज कर दिया। एक ऑडियो संदेश में उन्होंने कहा, “यह फैसला एक कठपुतली ट्रिब्यूनल द्वारा सुनाया गया, जो निर्वाचित सरकार के बिना वैध नहीं है। भगवान ने मुझे जीवन दिया है, केवल वही इसे समाप्त कर सकता है।” उनके बेटे साजीद वाजेद ने रॉयटर्स को बताया कि अवामी लीग समर्थक फरवरी 2026 के चुनावों को बाधित करेंगे यदि पार्टी पर प्रतिबंध हटाया नहीं गया। उन्होंने चेतावनी दी कि यह बांग्लादेश को “सबसे खराब राजनीतिक संकट” की ओर धकेल सकता है।

अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने फैसले का बचाव किया, इसे “न्याय का विजय” बताते हुए कहा कि यह “सभी के लिए सबक” है। जुलाई चार्टर—एक 26-सूत्री सुधार योजना—पर जनमत संग्रह फरवरी चुनावों के साथ होगा, जिसमें प्रधानमंत्री पद के लिए दो कार्यकाल सीमा और बहु-जातीय राज्य की मान्यता शामिल है। बीएनपी नेता मिर्जा फखरुल ने “अंतरराष्ट्रीय मानकों” पर निष्पक्ष फैसले की उम्मीद जताई।

ढाका में तनाव और सुरक्षा उपाय
फैसले से पहले ढाका में तनाव चरम पर था। रविवार रात को 30 से अधिक क्रूड बम विस्फोट हुए, 26 वाहन जलाए गए, और अवामी लीग समर्थकों ने हड़ताल बुलाई। ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमिश्नर एसएम सज्जात अली ने “फायरबॉम्बिंग” करने वालों पर गोली चलाने का आदेश दिया। सेना, बीजीबी और पुलिस ने चेकपॉइंट्स पर कड़ी निगरानी बरती, जबकि ड्रोन से निगरानी की गई। जुलाई विद्रोह के पीड़ित परिवारों ने ट्रिब्यूनल के बाहर प्रदर्शन किया, हसीना की “सार्वजनिक फांसी” की मांग की।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं तीखी हैं। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर उपयोगकर्ताओं ने इसे “न्याय” तो कुछ ने “राजनीतिक बदला” बताया। एक पोस्ट में कहा गया, “यह तानाशाही का अंत है,” जबकि दूसरे ने “भारत पर प्रत्यर्पण का दबाव” की आशंका जताई।

क्षेत्रीय प्रभाव और भविष्य
यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है, खासकर फरवरी 2026 चुनावों से पहले। भारत, जहां हसीना रह रही हैं, पर प्रत्यर्पण का दबाव बढ़ेगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि नई दिल्ली सहयोगी के रूप में हस्तक्षेप से बचेगी। पूर्व अमेरिकी राजदूत जेम्स मोरियार्टी ने बीबीसी को कहा, “यह अवामी लीग के 15 वर्षों के शासन का अंत है, लेकिन रक्तपिपासा से हिंसा बढ़ सकती है।”

हसीना के वकील अपील दायर कर सकते हैं, लेकिन वाजेद ने कहा कि केवल “लोकतांत्रिक सरकार” के बाद ही ऐसा होगा। अंतरिम सरकार ने फैसले को लागू करने का वादा किया है, लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि यह राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दे सकता है। बांग्लादेश, दुनिया का सबसे बड़ा गारमेंट निर्यातक, पहले ही 2024 प्रदर्शनों से प्रभावित हो चुका है।

यह घटना बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के बाद सबसे अस्थिर क्षणों में से एक है, जहां न्याय और बदले की रेखा धुंधली हो गई है।

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