रोड शो का भव्य नजारा: JCB से फूल बरसाए, उमड़ी हजारों की भीड़
सोमवार शाम को शुरू हुआ यह रोड शो दीघा से खगौल तक फैला, जिसमें लालू प्रसाद यादव की बेटी व पाटलिपुत्र सांसद मीसा भारती भी साथ रहीं। रोड शो के दौरान समर्थकों ने JCB मशीनों से फूल बरसाए, जबकि नारों और लालू-तेजस्वी के पोस्टरों ने माहौल को गरमा दिया। लालू ने रास्ते भर लोगों का अभिवादन किया और कहा, “चुनाव प्रचार बहुत अच्छा चल रहा है। गठबंधन जीतेगा। बहुत भीड़ उमड़ रही है। जनता का प्यार तेजस्वी को मिलेगा।” रोड शो करीब 9 बजे दानापुर के डीआरएम ऑफिस पर समाप्त हुआ, लेकिन इसकी चर्चा सोशल मीडिया पर रातभर छाई रही। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जहां कार्यकर्ता इसे “परिवर्तन की लहर” बता रहे हैं।
यह लालू का इस चुनाव में पहला सार्वजनिक प्रचार था। लंबे समय से स्वास्थ्य कारणों से दूरी बनाए रहने वाले लालू की एंट्री से राजद कार्यकर्ताओं में जोश लौट आया है। एक समर्थक ने एक्स पर लिखा, “यह भीड़ किसी व्यक्ति की नहीं, परिवर्तन की है। लालू आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं।” हालांकि, कुछ यूजर्स ने इसे “जंगलराज की वापसी” का संकेत बताया।
जेल में बंद रीतलाल: बाहुबली की छवि और राजनीतिक रसूख
दानापुर से राजद के सिटिंग विधायक रीतलाल यादव पर रंगदारी का आरोप है। अप्रैल 2025 में दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण के बाद उन्हें बेऊर जेल भेजा गया, और बाद में सुरक्षा कारणों से भागलपुर की हाई-सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
उन पर कुल 42 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या के प्रयास, रंगदारी और लूट जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। 10 मामलों में कोर्ट ने संज्ञान लिया है, लेकिन वे किसी में दोषी सिद्ध नहीं हुए।
रीतलाल का राजनीतिक सफर भी विवादास्पद रहा। पटना के कोथवा गांव में जन्मे रीतलाल का एक समय दानापुर रेल डिवीजन के टेंडरों पर दबदबा था। 2010 में राजद टिकट के लिए तरसते रहे, लेकिन 2020 में विधायक बने। जेल से ही नामांकन भरने वाले रीतलाल को लालू-तेजस्वी का करीबी माना जाता है। उनके समर्थक उन्हें “जनसेवक” बताते हैं, जो बाढ़ जैसी आपदाओं में गरीबों की मदद करते हैं। एक्स पर एक पोस्ट में लिखा गया, “रीतलाल भैया झूठे मुकदमों में फंसाए गए हैं। दानापुर की जनता उनके साथ है।” लेकिन विपक्ष उन्हें “गुंडा” कह रहा है।
रामकृपाल से बदला: पुरानी कड़वाहट या सियासी चाल?
यह मुकाबला महज विधानसभा सीट का नहीं, बल्कि लालू परिवार की पुरानी कड़वाहट का भी है। बीजेपी प्रत्याशी रामकृपाल यादव 30 साल तक राजद में रहे और लालू के करीबी थे। 2014 में बीजेपी में शामिल होकर उन्होंने पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से दो बार मीसा भारती को हराया। रीतलाल ने नामांकन के दौरान रामकृपाल पर निशाना साधा, “वह 27 साल तक राजद में रहे। सब कुछ उन्हें ही चाहिए—सांसद, एमएलसी, महासचिव, अब विधायक। दानापुर के लोग कहां जाएंगे?”
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि लालू परिवार रामकृपाल को “गद्दार” मानता है। दानापुर जीतकर न सिर्फ सीट बचाई जा सकती है, बल्कि मीसा की भविष्य की राह भी आसान हो सकती है। एक्स पर एक यूजर ने लिखा, “रीतलाल यादव और रामकृपाल—दोनों की छवि एक जैसी। जनता को चुनना है कि गुंडे में से किसे वोट देना।” वहीं, बीजेपी प्रवक्ता अमित मालवीय ने इसे “जंगलराज की वापसी” बताते हुए लालू पर निशाना साधा।
दानापुर सीट फंसेगी? अपराध पर राजद का दोहरा चरित्र?
विश्लेषकों के मुताबिक, रीतलाल की जेल यात्रा सहानुभूति पैदा कर सकती है, लेकिन आपराधिक छवि वोट खा सकती है। तेजस्वी अपराध पर सख्ती की बात करते हैं (जैसे मोकामा के अनंत सिंह पर), लेकिन रीतलाल का समर्थन “दोहरा चरित्र” दिखा रहा है। एक पोस्ट में कहा गया, “लालू किस मुंह से वोट मांगेंगे? जेल वाले उम्मीदवार के लिए।” वहीं, राजद कार्यकर्ता इसे “राजनीतिक साजिश” बता रहे हैं।
लालू ने रोड शो के दौरान तेजस्वी को सीएम बनाने का भरोसा दिलाया, “14 नवंबर को सरकार बदल जाएगी।” पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को है। दानापुर में यादव-मुस्लिम वोट बैंक राजद के पक्ष में है, लेकिन रामकृपाल का एनडीए समर्थन चुनौती। क्या यह रोड शो इतिहास दोहराएगा या नया मोड़ लाएगा? नतीजे आने तक सस्पेंस बरकरार।

