स्कूलों में मिड डे मील बंद करने की तैयारी में खट्टर सरकार – सैलजा 
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 स्कूलों में मिड डे मील बंद करने की तैयारी में खट्टर सरकार – सैलजा 

चंडीगढ़ओम से प्रकाश राय : कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी की सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकारी स्कूलों को बंद करने के बाद अब भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की नजर स्कूलों में दिए जाने वाले मिड डे मील पर लग गई है। यह सरकार मिड डे मील को बंद करना चाहती है, इसलिए ही स्कूलों में राशन व कुकिंग कॉस्ट पहुंचाने में देरी की जाती है। इससे पहले मिड डे मील में छात्रों को दिए जाने वाले हजारों टन फ्लेवर्ड मिल्क पाउडर के घोटाले की जांच से भी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार बच रही है।
 सैलजा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सरकार ने साल 1995 में सरकारी स्कूलों के बच्चों को पौष्टिक आहार देने के लिए मिड डे मील स्कीम की शुरुआत की थी। इसमें अभी पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों को स्कूल में तैयार करवाया गया भोजन परोसा जाता है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में प्रत्येक बच्चे के हिसाब से 5 रुपये 45 पैसे दिए जाते हैं। लेकिन, कई जिलों में यह राशि अभी तक जारी नहीं की गई है। कुछ जिलों में तो 4 महीने से उक्त राशि स्कूलों को नहीं मिली है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मंशा या तो कांग्रेस द्वारा शुरू की गई योजनाओं को नाम बदलने की रही है या फिर किसी न किसी बहाने से इन योजनाओं को बंद करने की साजिश रची जाती है। इसी क्रम में केंद्र सरकार चाहती है कि सरकारी स्कूलों में चलाई जा रही मिड डे मील योजना को बंद कर दिया जाए। इसलिए ही कभी इसे तैयार करने वाली कुक का वेतन कई-कई महीनों तक रोक लिया जाता है, जबकि कितनी ही बार महीनों तक कुकिंग कॉस्ट को रोक लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में 16.91 लाख स्कूली बच्चों को दिया जाने वाला फ्लेवर्ड मिल्क भी घोटालेबाजों ने खुद ही गटक लिया। जुलाई से सितंबर महीने तक इस मिल्क पाउडर की सप्लाई ही स्कूलों तक नहीं की गई, जो 1218 टन से अधिक बनता है। जबकि, दूसरी ओर महकमे को रिपोर्ट दे दी गई कि बच्चों को दूध पिलाया जा रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बड़े स्तर पर मिलीभगत के चलते घोटाले को अंजाम दिया गया।  उन्होंने कहा कि फ्लेवर्ड मिल्क घोटाला उजागर होने के बाद आज तक शिक्षा विभाग ने काेई जांच नहीं बैठाई है। सैकड़ों करोड़ रुपये के इस घोटाले के तार प्रदेश सरकार में मौजूद बड़े ओहदेदारों से जुड़े हुए हैं, इसलिए ही इसे दबाने की हर संभव कोशिश चल रही हैं।
सैलजा ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों में पौषक तत्वों की कमी है और यह बात समय-समय पर जारी होने वाली रिपोर्ट में भी उजागर होती रही है। इसलिए भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को चाहिए कि वह मिड डे मील के प्रति गंभीरता दिखाए और इसे बंद करने की साजिश रचने की बजाए छात्रों की रूचि के अनुसार इसमें कुछ और आइटम जोड़े।
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