आशा वर्कर्स ने अपने धरने को केरल स्थापना दिवस यानी 1 नवंबर 2025 को एक रैली के साथ समाप्त करने का निर्णय लिया है। यह रैली सुबह 11 बजे विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन द्वारा उद्घाटित की जाएगी। रैली में वे न्यूनतम दैनिक मजदूरी और सेवानिवृत्ति लाभ की मांग को जारी रखने की शपथ लेंगी।
मुख्यमंत्री पिनरयी विजयन ने हाल ही में कई जनकल्याणकारी घोषणाओं के बीच आशा वर्कर्स के मासिक मानदेय में 1,000 रुपये की वृद्धि की घोषणा की थी। इसके बाद आशा वर्कर्स ने धरना समाप्त करने का फैसला किया, हालांकि उनकी मुख्य मांगें अभी पूरी नहीं हुई हैं।
केरल आशा हेल्थ वर्कर्स एसोसिएशन (काह्वा) ने राज्य सरकार से आशा वर्कर्स का मासिक मानदेय 21,000 रुपये करने और सेवानिवृत्ति पर 5 लाख रुपये की एकमुश्त राशि देने की मांग की थी। काह्वा की महासचिव एम.ए. बिंदु ने कहा, “हमें खुशी है कि सचिवालय के सामने बैठकर हमने आशा वर्कर्स की आवाज को संसद के दोनों सदनों तक पहुंचाया और देश भर में संघर्ष कर रही आशा वर्कर्स की आकांक्षा बन सके।”
उन्होंने बताया कि धरने के दबाव में सरकार ने बकाया वेतन भुगतान किया, मानदेय की समय पर अदायगी सुनिश्चित की, मानदेय से जुड़ी सभी शर्तें हटा दीं और 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु की बाध्यता भी समाप्त कर दी।
हालांकि सचिवालय के सामने धरना समाप्त हो रहा है, लेकिन आशा वर्कर्स अब अपने विरोध को जिलों तक ले जाएंगी।
आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में वे हर वार्ड में जाकर लोगों से अपील करेंगी कि वे उन लोगों के खिलाफ मतदान करें जिन्होंने आशा वर्कर्स के संघर्ष का अपमान किया और उनकी मांगों को छोटा बताया।
बिंदु ने दावा किया कि इस लंबे संघर्ष से पूरे देश का ध्यान आशा वर्कर्स के जीवन, काम और संघर्ष की ओर आकर्षित हुआ है।

