अदालत ने मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और आरोपी को जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है। न्यायाधीश ने वीडियो कॉन्च पर कार्यवाही की, जिसमें अभियोजन पक्ष ने डॉक्टरों के बयान, मेडिको-लीगल रिकॉर्ड और प्रारंभिक फोरेंसिक वॉयस एनालिसिस रिपोर्ट जैसे अतिरिक्त साक्ष्य पेश किए। अभियोजन पक्ष का तर्क था कि मामला विश्वास और अधिकार के पद का दुरुपयोग कर बार-बार बलात्कार, धोखे से यौन सहमति प्राप्त करना, अवैध गर्भपात, चोट पहुंचाना और जीवन-घातक जटिलताओं का कारण बनने जैसे आरोपों से जुड़ा है।
मामकूटाथिल ने अपनी याचिका में आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया और शिकायतकर्ता महिला के साथ अपने संबंधों को सहमति पर आधारित बताया। उन्होंने दावा किया कि महिला विवाहित थी और गर्भपात की गोलियां उसने अपनी मर्जी से लीं। विधायक ने महिला पर निजी संवादों को रिकॉर्ड कर उन्हें फंसाने का आरोप भी लगाया। हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को खारिज कर दिया।
अभियोजन पक्ष ने चेतावनी दी कि जमानत पर रिहा होने पर आरोपी अपनी राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर गवाहों को डराने, साक्ष्यों को नष्ट करने या जांच को प्रभावित करने का प्रयास कर सकता है। उन्होंने विधायक के वर्तमान ठिकाने के अज्ञात होने और जांच में सहयोग न करने का भी जिक्र किया। पुलिस ने एक सील बंद लिफाफे में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भी पेश की। इसके अलावा, मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप भी जांच के दायरे में हैं।
अभियोजन ने जोर दिया कि आरोपी की हिरासत में पूछताछ जरूरी है, क्योंकि डिजिटल साक्ष्य जैसे वॉयस रिकॉर्डिंग और टेक्स्ट मैसेज मामले का आधार हैं। पुलिस को विधायक के मोबाइल फोन, टैबलेट और कंप्यूटर जैसे उपकरण जब्त करने होंगे ताकि ऑडियो रिकॉर्डिंग की जांच हो सके। मामला ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट का भी उल्लंघन कर सकता है, जो महिलाओं के प्रजनन अधिकारों की रक्षा करता है।
मामकूटाथिल के सहयोगी जॉबी जोसेफ मामकूटाथिल पर भी गंभीर आरोप हैं। अभियोजन के अनुसार, जॉबी ने गर्भपात की गोलियां पीड़िता को पहुंचाईं और विधायक ने वीडियो कॉल पर उनका सेवन सुनिश्चित किया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और पृष्ठभूमि
कांग्रेस का यह कदम विधायक के लंबे समय से लापता रहने के बाद आया है। सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में उन्हें ‘फरार’ बताया गया है। केपीसीसी अध्यक्ष सनी जोसेफ ने कहा, “पार्टी ने नैतिक आधार पर यह फैसला लिया है।” विपक्षी दलों ने कांग्रेस पर देरी से कार्रवाई का आरोप लगाया है।
यह मामला 2024 के विधानसभा चुनाव के ठीक एक साल बाद सामने आया, जब मामकूटाथिल को पलक्कड़ से विधायक चुना गया था। पुलिस का कहना है कि पीड़िता विधायक की परिचित थी और मामले की जांच जारी है। अदालत ने अभी औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है, लेकिन फैसले से उनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।
यह घटना केरल की राजनीति में बड़ा भूकंप ला सकती है, खासकर महिलाओं के अधिकारों और राजनीतिक नैतिकता के मुद्दे पर। पुलिस ने अन्य संभावित पीड़िताओं के सामने आने की संभावना जताई है।

