Jaypee Infratech: बीस हजार बायर्स- किसानों को ऐसे मिलेगी बड़ी राहत!!
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Jaypee Infratech: बीस हजार बायर्स- किसानों को ऐसे मिलेगी बड़ी राहत!!

बिल्डर बायर्स के बीच विवाद सुलझााने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। अब जेपी इंफ्राटेक (Jaypee Infratech) के करीब बीस हजार घर खरीदारों एवं दस हजार किसानों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण करने वाले सुरक्षा समूह के प्रस्ताव को प्रदेश कैबिनेट में स्वीकृति के लिए रखा जाएगा। कैबिनेट की मुहर के बाद नेशनल कंपनी ला अपीलेट ट्रिब्यूनल में इस मामले पर फैसला जल्द आने की उम्मीद है। यमुना एक्सप्रेस वे पर टोल शुल्क वसूली का अनुबंध 15 साल बढ़ाने एवं नोएडा में मौजूद आवासीय प्रोजेक्ट के लिए निश्शुल्क एफएआर देना, प्रस्ताव में शामिल है। नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल ने जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण कर रही कंपनी सुरक्षा समूह के पक्ष में फैसला देते हुए यमुना प्राधिकरण के कई दावों को अस्वीकार कर दिया था।

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यमुना प्राधिकरण ने नेशनल कंपनी लाॅ अपीलेट ट्रिब्यूनल में इसे चुनौती दी थी। इसमें दावा था कि जेपी इंफ्राटेक से प्रभावित किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा के लिए 1689 करोड़ राशि को लेकर था। प्राधिकरण ने एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ नेशनल कंपनी ला अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील की थी। जो अभी विचाराधीन है।

यमुना प्राधिकरण व सुरक्षा समूह के अफसरों के बीच बैठक में विभिन्न बिंदुओं पर सहमति बनाकर प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसके अंतर्गत सुरक्षा समूह ने यमुना एक्सप्रेस वे पर जेपी इंफ्राटेक को टोल शुल्क वसूलने की अनुबंध अवधि (36 वर्ष) से पंद्रह साल अतिरिक्त बढ़ाने, निशुल्क फ्लोर एरिया रेश्यो, नोएडा प्राधिकरण द्वारा लगाए गए जल शुल्क को माफ करने, जेपी इंफ्राटेक को आवंटित की गई काश्तकार की भूमि के अतिरिक्त ग्राम समाज की भूमि पर अतिरिक्त मुआवजा राशि माफ करने, नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर टोल शुल्क वसूली का अधिकार देने, प्रतिवर्ष टोल शुल्क रिवाइज करने आदि की मांग सुरक्षा समूह की ओर से रखी गई थी।

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सूत्र बताते है कि नोएडा सेक्टर 128, 132 में समूह की आवासीय प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए निशुल्क फ्लोर एरिया रेश्यो देने, एक्सप्रेस वे पर टोल शुल्क वसूली की अवधि 15 वर्ष बढ़ाने, ग्राम समाज की भूमि पर अतिरिक्त मुआवजा राशि की वसूली न करने, प्रतिवर्ष टोल शुल्क पुनर्निधारण आदि पर यमुना प्राधिकरण की सहमति बन चुकी है। इसका प्रस्ताव स्वीकृति के लिए प्रदेश कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट से प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद अपीलेट ट्रिब्यूनल में इसे रखा जाएगा।

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