Meat shops temporarily locked on Navratri News: दिल्ली के जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक तरविंदर सिंह मारवाह ने आगामी नवरात्रि पर्व के दौरान शहर में मीट की दुकानों को अस्थायी रूप से बंद करने की मांग उठाई है। विधायक ने इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलने वाले नौ दिवसीय पर्व के दौरान मांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की अपील की है।
मारवाह ने पत्र में कहा कि नवरात्रि हिंदू समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र समय है, जब लाखों भक्त मां दुर्गा की आराधना करते हुए व्रत रखते हैं और शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं। इस दौरान मीट की दुकानों का खुला रहना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कदम सामाजिक सद्भाव बनाए रखने और धार्मिक परंपराओं का सम्मान करने के लिए आवश्यक है।
इसके अलावा, मारवाह खुद सड़कों पर उतर आए और खुली हुई मीट दुकानों पर ताला लगवाने का अभियान चलाया है। उन्होंने दुकानदारों से अपील की कि वे स्वेच्छा से दुकानें बंद रखें ताकि किसी भी विवाद की स्थिति न बने। विधायक ने बताया कि पिछले नवरात्रि में इसी तरह की अपील पर 70-80 प्रतिशत दुकानें बंद रही थीं, जो एक सकारात्मक उदाहरण था।
यह मांग दिल्ली बीजेपी के अन्य विधायकों द्वारा भी समर्थित हो रही है। शकूर बस्ती से विधायक करणैल सिंह ने मैकडॉनल्ड्स, केएफसी, डोमिनोज और बर्गर किंग जैसी अंतरराष्ट्रीय फास्ट फूड चेन के प्रबंधकों को पत्र लिखकर नॉन-वेज आइटम्स की बिक्री रोकने की सलाह दी है। वहीं, पटपड़गंज से विधायक रविंदर सिंह नेगी ने भी मंदिरों के आसपास की मीट दुकानों को बंद रखने की मांग की है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह कदम हिंदू परंपराओं का सम्मान करने और सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।
विपक्षी दलों ने इस मांग पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। आम आदमी पार्टी (आप) ने इसे ‘विभाजनकारी राजनीति’ करार देते हुए कहा कि बीजेपी धार्मिक भावनाओं का राजनीतिकरण कर रही है। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि भाजपा केवल चयनात्मक प्रवर्तन करती है और यह हिंदू-मुस्लिम विभेद बढ़ाने का प्रयास है।
नवरात्रि का यह पर्व 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को दशहरा के साथ समाप्त होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी मांगें दिल्ली जैसे बहुलवादी शहर में सामाजिक तनाव पैदा कर सकती हैं, लेकिन बीजेपी इसे धार्मिक संवेदनशीलता का सम्मान बता रही है। इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

