India-Russia Summit: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को भारत की दो दिवसीय राजकीय यात्रा का समापन किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गर्मजोशी भरा स्वागत और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा प्रमुख रही। इस यात्रा के मुख्य परिणामों में 2030 तक 100 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य वाली नई आर्थिक सहयोग योजना और यूक्रेन में शांति प्रयासों पर जोर शामिल है। यह पुतिन की दिसंबर 2021 के बाद पहली भारत यात्रा थी और फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा।
शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष भोज के साथ यात्रा समाप्त हुई। इससे पहले, राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत के बाद पुतिन हैदराबाद हाउस पहुंचे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। पुतिन की पहली राष्ट्रपति के रूप में भारत यात्रा अक्टूबर 2000 में हुई थी, जब वे दिल्ली और आगरा गए थे।
प्रमुख बिंदु:
• प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत: गुरुवार शाम पलम हवाई अड्डे पर पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर व्यक्तिगत रूप से पुतिन का स्वागत किया। यह दोनों नेताओं के बीच असामान्य गर्मजोशी और लंबे समय से चली आ रही मैत्री को दर्शाता है।
• ‘कारपूल’ क्षण: दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर निजी भोजन के लिए ‘कारपूल’ किया। यह पल सितंबर में तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में उनके साथ सवारी की याद दिलाता है, जो उनकी सहज सहयोगिता को दिखाता है।
• भगवद्गीता उपहार: निजी भोजन के बाद प्रधानमंत्री ने पुतिन को रूसी भाषा में भगवद्गीता की प्रति भेंट की। सोशल मीडिया पर साझा करते हुए मोदी ने लिखा, “राष्ट्रपति पुतिन को रूसी में गीता की प्रति भेंट की। गीता की शिक्षाएं दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।”
• राजघाट पर श्रद्धांजलि: पुतिन ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।
• यूक्रेन पर पीएम का संदेश: वार्ता के दौरान मोदी ने यूक्रेन संघर्ष पर कहा कि भारत ‘तटस्थ’ नहीं है, बल्कि ‘शांति के पक्ष’ में है। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा विश्व नेताओं से कहा है कि भारत तटस्थ नहीं है। भारत का पक्ष शांति का है। हम शांति के सभी प्रयासों का समर्थन करते हैं।”
• पुतिन का आभार: रूसी नेता ने भारत के शांति प्रयासों पर ध्यान देने के लिए ‘आभारी’ होने का कहा। उन्होंने रक्षा, अंतरिक्ष अन्वेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग पर जोर दिया।
• तेल आयात पर अमेरिकी दबाव: अमेरिकी शुल्कों (50 प्रतिशत, जिनमें आधे रूसी तेल खरीद से जुड़े) का सामना कर रही नई दिल्ली को पुतिन ने आश्वासन दिया कि मॉस्को भारत को ईंधन की ‘अव्यवधान रहित’ आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। यह अमेरिका सहित पश्चिम को संदेश है।
• आर्थिक सहयोग: संयुक्त संक्षिप्तिकरण में प्रधानमंत्री ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने वाली नई आर्थिक सहयोग योजना की घोषणा की। मोदी ने कहा, “भारत-रूस आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है।”
• मुक्त व्यापार समझौता: बाद में आयोजित व्यापार मंच पर मोदी ने भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ (रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान) के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू होने का उल्लेख किया।
• रूस-भारत व्यापार मंच: पुतिन और मोदी ने रूस-भारत व्यापार मंच की पूर्ण सत्र में भाग लिया।
• 16 समझौते: दोनों देशों ने रक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा आदि क्षेत्रों में 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। मोदी ने कहा कि रूस ने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस में शामिल होने का फ्रेमवर्क समझौता अपनाने का फैसला किया।
• पुतिन का ‘सबका साथ…’: राष्ट्रपति भवन भोज के दौरान पुतिन ने मोदी के नारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ का हवाला देते हुए कहा, “भारत में आप कहते हैं ‘साथ जाओ, साथ बढ़ो’, जो रूस-भारत संबंधों की प्रकृति को सही दर्शाता है।”
23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। यह यात्रा वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के बीच दोनों देशों के बीच मजबूत बंधनों को रेखांकित करती है।

