साँप का रस्सी और रस्सी का साँप बनाना सीखना है तो नोएडा और सोनभद्र पुलिस से मिलिए, सांठगांठ के बाद ऐसे हुआ जानेंगे तो पुलिस से उठेगा विश्वास

आमतौर पर पुलिस के लिए एक आम भाषा में कहा जाता है कि सॉप का रस्सी और रस्सी का साँप बनाना हो तो पुलिस से सीखना चाहिए, लेकिन हमेशा लोग जो पाते हैं उसे प्रूफ कर पाएते। पुलिस इतनी सफाई से यह सब काम करती है उसको पकड़ पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जिसमें पुलिस ने आरोपियों को छोड़ दिया और कम लिप्तता वालों को आरोपी बना दिया। ये सब हुआ है नोएडा थाना सेक्टर 24 और सोनभद्र पुलिस के एक हो जाने से। कहने के लिए दोनों ही उत्तर प्रदेश पुलिस है, लेकिन इन्होंने अपने अपने जिलों में पुलिस का नाम डुबोया है। दरअसल सोनभद्र के पिपरी थाना क्षेत्र में 1 कंपनी से करीब 30 लाख रुपये माल जिसमें सिलवर कि सील्लिया थी लेकिन ये अपने गन्तव्य तक नहीं पहुँच पाई।

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सोनभद्र से लुधियाना की एक कंपनी में इस माल को पहुँचाना था, लेकिन ट्रक यमुना एक्सप्रेस वे से सही उतरा लेकिन ये थाना बिसरख क्षेत्र के अंतर्गत एक मूर्ति गोलचक्कर पर आकर रुक गया। जब ट्रक मालिक ने उसकी जीपीएस से लोकेशन देखी तो कंपनी वालों को बताया। कंपनी वालों ने पूरी जाँच पड़ताल की। 11 मई को ये माल यहाँ उतरा था। 21 मई को कंपनी की ओर से सोनभद्र को थाना पिपरी में रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। इस मामले में जाँच पड़ताल करते हुए पुलिस एक मूर्ति गोल चक्कर तक जा पहुँची। जहाँ पुलिस को पता चला कि माल मिलक लच्छि गाँव के बाहर बने एक गोदाम में उतारा गया है। पूरी जाँच पड़ताल करते हुए पुलिस को पता चला कि इस माल को उतरवाने में एक कथित भाजपा के नेता का हाथ है। पुलिस ने पूरा मामला ट्रेस किया और उस व्यक्ति तक भी पहुँच गई, जहाँ इस माल को बेचा गया था। कदम कदम पर पुलिस सुबूत एकत्र कर रही थी लेकिन अचानक से पुलिस ने सबूतों को दरकिनार कर माल खरीदने वाले को और माल चोरी करने वाले को दोनों को ही अपनी आरोपी की लिस्ट से बाहर कर दिया है।

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जय हिन्द जनाब के पास एक रिकाॅर्डिग है जिससे यही प्रतीक होता है। कहने के लिए पूरा मामला थाना बिसरख क्षेत्र का होना था लेकिन पिपरी थाना प्रभारी और थाना सेक्टर 24 प्रभारी दोनों के साथ रहे हैं इसलिए दोनों की अच्छी अंडरस्टैंडिंग थी। माल को दिल्ली से लेकर सेक्टर 25 ये मोदी मॉल के पास ट्रकों में बताया गया। जहाँ से सोनभद्र पुलिस माल लेकर चली गई। मुख्य आरोपियों को छोड़ दिया गया और माल का सौदा करा कर 1 प्रतिशत कमीशन लेने वाले को मुख्य आरोपी बना दिया गया। शायद 1 प्रतिशत लेने वाला पुलिस की इच्छा पूर्ति नही कर पाता। कुल मिलाकर कहा जाएंगा तो नोएडा पुलिस कमिश्नर की इमादारी पर ऐसे पुलिस कर्मी धब्बा लगा रहे है। इस पूरे प्रकरण में में जांच हो तो नोएडा पुलिस के कई अफसर और कर्मचारी भी फंस जाएंगे। वही इस संबंध में एसपी सोनभद्र से संपर्क को कोशिश की गई लेकिन वे उपलब्ध नही हो सके।

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