दालचीनी का सेवन करेगे तो दिल रहेगा हमेशा जवान, ब्लड शुगर को करती है कंट्रोल
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दालचीनी का सेवन करेगे तो दिल रहेगा हमेशा जवान, ब्लड शुगर को करती है कंट्रोल

भारत मसालों के लिए मशहूर रहा है। एक वक्त पर भारत से मसाले विदेशों में जमकर भेजे जाते थे। गरम मसाले में दालचीनी भी एक है। ये एक चमत्कारी मसाला है, जिस कारण से इसे औषधि भी कहा जाता है। शरीर के लिए इसे बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसका नियमित सेवन किया जाए तो यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती है। हार्ट के लिए भी यह बेहद गुणकारी है। दालचीनी के एंटीऑक्सीडेंट लाभ हैरानी करने वाले हैं। दिल को भी जवान रखता है।

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ब्ता दें कि आधुनिक वनस्पति विज्ञान भी दालचीनी का लोहा मान चुका है। इसमें पाए जाने वाले विटामिन्स व मिनरल्स अन्य मसालों से अलग हैं। इसकी खुशबू और हल्की सी मिठास भोजन में स्वाद भर देती है। आधुनिक आयुर्वेद भी दालचीनी को गुणकारी मानता है। जाने माने आयुर्वेदाचार्य बताते है कि इसके सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, ठीक किए जा सकते हैं. शरीर को बीमारियों से बचाने में यह रामबाण है। हृदय रोगों के बचाव के लिए दालचीनी का सेवन करना चाहिए
1. ‘औषधीय पौधे’ नामक पुस्तक के लेखक व बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक रहे डॉ. सुधांशु कुमार जैन दालचीनी को मसाला औषधी मानते हैं। उनका मानना है कि यह अंतड़ियों के लिए बलकारक है और तथा शरीर के कीटाणु व फंगस को नष्ट करती है। इसमें ब्लड शुगर को कंट्रोल करने वाले गुण पाए जाते हैं। यह हार्मोन इंसुलिन के प्रति सेंसेटिविटी को काफी बढ़ा देती है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है। यह हीमोग्लोबिन में भी सुधार करती है। रिसर्च बताता है कि दालचीनी भोजन के बाद शरीर के ब्लड में प्रवेश करने वाली चीनी की मात्रा को कम कर देती है। इसमें मौजूद एक खास यौगिक ही कोशिकाओं में शुगर को सोखने में कारगर है।

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2. मसाला प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले व भारत की एग्मार्क लेब के संस्थापक निदेशक रहे जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक ‘Spices And Condiments’  में जानकारी दी है कि दालचीनी में पाए जाने वाले विशेष तत्वों में रेशा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियन, फास्फोरस, लौह, सोडियम, पोटेशियम व विटामिन ए, बी, सी आदि भी पाए जाते हैं। यह उत्तेजक है और इसका तेल भी लाभकारी है. यही विशेष तत्व हार्ट के लिए गुणकारी हैं। यह बेड कोलेस्ट्रॉल के अलावा ट्राइग्लिसराइड्स (शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है) के स्तर को भी कम कर देती है. इन दोनों को हार्ट के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। इसका लाभ यह भी रहता है कि बीपी भी कंट्रोल में रहता है.. दालचीनी चमत्कारी रूप से एंटिऑक्सीडेंट से भरपूर है। असल में एंटिऑक्सीडेंट वे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले नुकसान से बचाते हैं। फ्री रेडिकल्स यानी मुक्त कण हमारे शरीर में मुख्य रूप से भोजन के पाचन के दौरान उत्पन्न होते हैं. ये हानिकारक अणु होते हैं, जो शरीर की अंदरूनी कोशिकाओं (Cells) को डैमेज करते हैं। यही कारण है कि जब शरीर में इनकी मात्रा बढ़ने लगती है तो बीमारियां होने लगती हैं और स्किन पर बुढ़ापा भी उम्र से पहले ही झलकने लगता है। इन मुक्त कणों को कंट्रोल करने का काम एंटिऑक्सीडेंट करते हैं। अर्थ यही है कि दालचीनी शरीर को सामान्य बीमारियों से बचाती है और उसे लगातार स्वस्थ रखती है। इसमें पॉलीफेनोल्स भी पाया जाता है जो पाचन, दिमाग को भी कूल रखता है और रक्त के थक्कों, हृदय रोग में लाभकारी है।

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4. समें सूजनरोधी गुण भी पाए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि दालचीनी में मौजूद नाइट्रिक ऑक्साइड ही सूजन में लाभकारी है। इसका लाभ यह रहता है कि जोड़ों में सूजन के साथ-साथ दर्द से भी बचाव होता है। यह शरीर को संक्रमण से भी बचाती है, यानी बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण को भी रोकने में कारगर है। लोग इस प्रकार की परेशानियों से दुखी हैं तो दालचीनी उनके लिए लाभकारी है. ऐसा भी माना जाता है कि इसका सेवन नर्वस सिस्टम को भी कूल बनाए रखता है। इसके इस्तेमाल का आसान तरीका यह है कि दालचीनी को पीसकर पाउडर बना लें. सब्जी, विभिन्न प्रकार के आहार के अलावा गर्म चाय में इसका सेवन करें, बाकी काम यह खुद कर लेगी।

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