गौतम बुध नगर में किसान और होम बायर्स का कैसे होगा समाधान, लिफ्ट टूटने के बार बार हो रहे हादसे
गौतम बुध नगर में किसान और होम बायर्स लगातार अपनी-अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी समस्याओं का हाल कैसे किया जाए। कौन सी कमेटी होगी जो समस्या का हल कर देगी। बिल्डरों पर सरकार कैसे लगाम लगाई यह सवाल भी बरकरार है। इस सबके बीच लिफ्ट टूटने के हादसे से लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सेक्टर 126 में रिवर फ्रंट नाम से बन रही बिल्डिंग में लिफ्ट टूटकर आठवीं मंजिल से नीचे गिर गई। नो इंजीनियर घायल हो गए। यह कोई पहला हादसा नहीं है इससे पहले भी कई हादसे हो चुके है।ं जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह लगातार लिफ्ट से संबंधित कानून बनवाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी लिफ्ट को लेकर नियम बनाने की गुहार लगाई और कानून लागू कराने का आवाहन किया था। नए साल में में दोनों समस्याओं का समाधान होगा या नही वक्त बताएंगा।
बता दें कि इससे पहले भी लिफ्ट गिरने के कई हादसे हो चुके हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अम्रपाली ड्रीम वैली सोसाइटी में निर्माणाधीन टावर में लिफट टूट कर नीचे गिरी। आठ लोगों की मौत हो गई। उस दौरान सभी सोसाइटी में लिफ्ट जांच के साथ-साथ अन्य निर्माण गुणवत्ता भी जांच के लिए प्राधिकरण सक्रिय हो गया। मगर कुछ दिन बाद मामला ठंडा बस्ते में चला गया है। सेक्टर 137 परस टियारा सोसाइटी में लिफ्ट रास्ते में अटकी तो लिफ्ट में मौजूद बुजुर्ग महिला खोफजदा हो गई और उनकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। नोएडा ग्रेटर नोएडा में अलग-अलग सोसाइटीज में लिफ्ट बीच में अटकना अब आम चलन में आ चुका है। घंटो घंटो लोग लिफ्ट में बंद रहते हैं। मगर इसका सवाल कोई नहीं करता सोसाइटी में आरडब्लूए और एओए बनी हुई है जो मेंटेनेंस के नाम पर रुपए लेते हैं।
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मगर कुछ भी मेंटेन नहीं किया जबकि समय-समय पर लिफ्ट की जांच पड़ताल करना जरूरी होता है। मगर कोई भी लिफ्ट की केयर नहीं करता। केवल लिफ्ट को ऊपर से आने और जाने मात्र भर का ही साधन समझा जाता है। जो की है भी। लेकिन मेंटेन नहीं रखेंगे तो लिफ्ट का अटकना लाजमी है। अब इस तरह के हादसों को कैसे रोका जाए। इस पर मंथन हो रहा है लेकिन हादसे कम होने का नाम नही ले रहे। किसानों की बात करे तो तीनों प्राधिकरण क्षेत्रों में अलग अलग समस्याएं है। आये दिन किसान धरना प्रर्दशन करते नजर आते है। अब तो किसनों के सब्र का बांध टूटने लगा है। किसनों का एक गुट अब सीईओ के दफतर तक पहुंच गए। बोर्ड रूम के बाहर वे धरने पर बैठ गए। नोएडा के लगभग सभी गावों की आबादी पर भी विवाद है। ज्यादातर आबादी वाली जमीन पर भी नोएडा प्राधिकरण ने अपना नाम खसरा खतौनी में चढाया हुआ है।