Hit And Run Law: ट्रांसपोर्ट की हड़ताल का देशव्यापी असर,गृह मंत्रायलय ने बुलाई आपात बैठक
Hit And Run Law: कानून बनते है बिगड़ते है लेकिन उनको मानना जनता के लिए बाध्यकारी होते है कानून को उल्लंधन करने पर सजा भी दी जाती है। अब एक नया कानून बना है जिसको लेकर टक, बस चालक लगातार हड़ताल और विरोध के साथ हंगामा कर रहे है। केंद्र सरकार के इस नए कानून का नाम है हिट एंड रन कानून। इस काूनन का जमकर विरोध हो रहा है। यूपी समेत कई राज्यों में चक्का जाम हो रहा है। कई जिलों में आज भी चक्का जाम और बसों-ट्रकों की हड़ताल है। प्राइवेट बसों ट्रकों से लेकर सरकारी महकमें की बसें भी शामिल रही। ज्यादातर राज्यों के हाईवेज पर न सिर्फ ट्रक और प्राइवेट बस खड़ी हो गई। बताते है कि विरोध क्यो हो रहा है। हिट एंड रन के नए कानून के तहत केंद्र सरकार ने 10 साल की सजा एवं 10 लाख जुर्माना लगाने का प्रावधान लागू किया है।
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बता दें कि पूरे देश में प्रतिदिन करीब एक लाख से ज्यादा ट्रक देश के अलग-अलग हिस्सों में दवाओं को पहुंचाते हैं। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक तकरीबन इससे ज्यादा ही ट्रक फल और सब्जियों को पहुंचाते हैं। तकरीबन साढ़े चार लाख से ज्यादा ट्रक रोजाना एक जोन में रोजमर्रा से जुड़ी जरूरत के अन्य छोटे-छोटे सामान पहुंचाते हैं। मगर पिछले 48 घंटों में दवाइयों से लेकर फल और सब्जियां समेत डीजल, पेट्रोल और सीएनजी जैसी जरूरतें सप्लाई करने के लिए ट्रक नहीं चल रहे हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस संगठन के मुताबिक चालकों की हड़ताल का बड़ा असर पड़ना शुरू हो गया है। इस हड़ताल की गंभीरता को देखते हुए संगठन की मंगलवार यानी आज एक आपातकालीन बैठक भी बुलाई गई है। गृह मंत्रालय के साथ भी संगठन की बातचीत चल रही है। वहीं, सरकार ने भी ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल का लोगों पर असर न पड़े, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस एसोसिएशन के मुताबिक देश के सभी राज्यों में दवा से लेकर फल, सब्जियां और जरूरत के सभी सामानों से लदे ट्रक फंसे हुए हैं। संगठन के महासचिव नवीन गुप्ता ने कहा कि देश के सभी ट्रक-बस ड्राइवरों ने काम बंद कर दिया है। इसके चलते देश की सड़कों पर रोजाना दौड़ने वाले लाखों ट्रकों के चक्के थम गए हैं। उनका कहना है कि पिछले 48 घंटों में अलग-अलग जगहों पर पहुंचने वाली रोजमर्रा की चीजों की सप्लाई नहीं हो पाई है। फिलहाल अभी जो स्टॉक लोगों के पास है, उसी से काम चल रहा है। नवीन गुप्ता कहते हैं कि अगर यह हड़ताल लंबी चली, तो रोजमर्रा में इस्तेमाल की जाने वाली जरूरत की चीजों की आपूर्ति पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।
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वहीं उत्तर प्रदेश गुड्स ट्रांसपोर्ट संगठन के महामंत्री पंकज शुक्ला कहते हैं कि भीतर 48 घंटे में लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर से उठने वाला सामान अभी तक डिपो में ही बंद है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों और राजधानी समेत आसपास के राज्यों में आपूर्ति होने वाली 90 फीसदी दवाएं इन्हीं डिपो से रोजाना सप्लाई होती हैं, जो कि पूरी तरीके से ठप हो गई हैं। ऑल इंडिया केमिस्ट एसोसिएशन से जुड़े विकास रस्तोगी कहते हैं कि रोजाना आने वाला दवाओं का माल अगर बंद हो गया, तो बाजार में दवाओं की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। वह कहते हैं कि खुदरा बाजार में दवाओं की आपूर्ति रोजाना के स्तर पर ही होती है। अगर ट्रक ड्राइवरर्स की हड़ताल लगातार रही तो इसका असर खाने पीने की वस्तुओं के साथ साथ दवा और गाड़ियों के ईधन पर भी देखने को मिलेगा।