History of EVM: चुनाव आयोग थमा सकता है नोटिस, सुप्रीम कोर्ट ने हाल में लगाई थी फटकार

History of EVM: नई दिल्ली। चुनावों में हार के बाद कुछ राजनीतिक दलों की ओर से ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर उठाए जाने वाले सवालों से आजिज आ चुका चुनाव आयोग अब इसके खिलाफ की जाने वाली किसी भी तरह की ऊलजलूल और झूठी बातों पर चुप नहीं बैठेगा।

History of EVM:

EVM पर सवाल उठा दिए. दिग्विजय ने कहा, ‘चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है।’ कुल मिलाकर ये प्रथा लंबे समय से चली आ रही है. बस किरदार बदलते रहते हैं. 2009 लोकसभा चुनावों में हार के बाद बीजेपी ने भी EVM पर सवाल खड़े किए थे. उस वक्त बीजेपी के सबसे बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसका विरोध किया था. इसके हैक होने की आशंका जताई थी. बाकायदा चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी थी. मांग की थी कि ईवीएम की जगह अब चुनाव फिर पुराने तरीके यानी बैलेट पेपर के जरिए करवाए जाएं।

भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने तो EVM के विरोध में बाकायदा किताब ‘डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट ऑन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?’ लिख डाली थी. खैर, 2014 के बाद यही EVM बीजेपी को भाने लगी और फिर उसने कभी इसका विरोध नहीं किया.

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