Washington DC News: अमेरिका में दिवाली के उत्सव के बीच एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के प्रमुख हिंदू अमेरिकी अधिकारी काश पाटेल, तुलसी गबार्ड और पूर्व गवर्नर निक्की हेली को सोशल मीडिया पर नस्लीय और धार्मिक घृणा भरी गालियों का सामना करना पड़ा।
MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) समर्थकों, खासकर ईसाई राष्ट्रीयवादियों ने इन नेताओं के दिवाली शुभकामना संदेशों पर हमला बोला, उन्हें ‘झूठे देवताओं की पूजा करने वाला’ और ‘अमेरिका से बाहर चले जाओ’ कहकर अपमानित किया। यह घटना अमेरिका में बढ़ते हिंदूफोबिया और धार्मिक असहिष्णुता को उजागर करती है।
ट्रंप के व्हाइट हाउस में दिवाली समारोह, लेकिन ऑनलाइन घृणा का तांडव
राष्ट्रपति ट्रंप ने 21 अक्टूबर को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में दिवाली का भव्य समारोह आयोजित किया, जहां उन्होंने दीये जलाए और भारतीय-अमेरिकी सीईओ जैसे आईबीएम के अरविंद कृष्णा, एडोब के शांतनु नारायण और माइक्रॉन के संजय मेहरोत्रा को आमंत्रित किया। ट्रंप ने कहा, “यह एक अद्भुत संस्कृति और अद्भुत लोगों का समूह है।” कार्यक्रम में एफबीआई डायरेक्टर काश पाटेल (गुजराती मूल के पहले भारतीय-अमेरिकी एफबीआई प्रमुख) और नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड (अमेरिका की पहली हिंदू सांसद) भी मौजूद रहीं। पाटेल ने कहा, “ओवल ऑफिस में दिवाली मनाना सम्मान की बात है।”
हालांकि, इसी बीच इन नेताओं के सोशल मीडिया पोस्ट पर घृणा का सैलाब आ गया। काश पाटेल ने 20 अक्टूबर को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “हैप्पी दिवाली – दुनिया भर में लाइट्स का फेस्टिवल मना रहे हैं, जहां अच्छाई बुराई पर विजयी होती है। सभी को दिवाली की शुभकामनाएं।” तुलसी गबार्ड ने लिखा, “दिवाली मना रहे सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! भगवान के प्रेम की रोशनी हमारा मार्गदर्शन करे, संदेह के अंधेरों को दूर करे।” निक्की हेली ने सरल संदेश दिया, “इस साल रोशनी, आशा और भलाई आपका मार्गदर्शन करे।”
इन पोस्ट्स पर MAGA के चरमपंथी समर्थकों ने बाढ़ ला दी। फार-राइट पादरी जोएल वेबन ने पाटेल को जवाब देते हुए लिखा, “घर लौट जाओ और अपने रेत के दानवों की पूजा करो। मेरे देश से निकल जाओ।” एक यूजर ने गबार्ड को कहा, “दिवाली अन-अमेरिकन है, भारत चले जाओ।” हेली के पोस्ट पर किसी ने पूछा, “क्या यह तुम्हारे लिए ‘इंडिया फर्स्ट’ है?” अन्य टिप्पणियां थीं: “झूठे धर्म की बकवास को खारिज करो”, “ईसाई राष्ट्र में विदेशी देवताओं को बढ़ावा मत दो”, “यह नरक जैसा उत्सव है” और “सभी हिंदुओं को निर्वासित करो।”
हिंदू अमेरिकियों पर निशाना: MAGA के भीतर फूट
यह विवाद ट्रंप प्रशासन में भारतीय-अमेरिकी नेताओं की मौजूदगी के बावजूद उभरा, जो खुद ट्रंप के करीबी हैं। पाटेल ने अपनी शपथ भगवद्गीता पर ली थी, जबकि गबार्ड हिंदू धर्म की अनुयायी हैं। रेडिट पर एक थ्रेड में यूजर्स ने लिखा, “विवेक, निक्की हेली, काश – हर दक्षिणपंथी देसी को उनके दिवाली पोस्ट पर कुचला जा रहा है।” कुछ ने हेली पर सवाल उठाए कि ईसाई बनने के बाद भी वह दिवाली क्यों मना रही हैं, जबकि उन्होंने अपनी भारतीय जड़ों को ‘मिटाने’ का आरोप लगाया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना अमेरिका में हिंदूफोबिया की बढ़ती प्रवृत्ति को एक बार फिर से जगजाहिर कर दिया है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने लिखा, “MAGA ने हिंदुओं के खिलाफ घृणा फैलाई, जबकि ट्रंप खुद दीये जला रहे थे।” डीएनए इंडिया ने इसे ‘हिंदूफोबिया का उदाहरण’ बताया, जहां व्हाइट सुप्रीमेसिस्ट्स ने हिंदू विधायकों को निशाना बनाया।
इकोनॉमिक टाइम्स ने कहा, “यह घटना अमेरिका में धार्मिक और नस्लीय असहिष्णुता के विभाजनों को उजागर करती है।”
कुछ यूजर्स ने समर्थन भी किया। एक ने लिखा, “काश को नापसंद करता हूं, लेकिन उन्हें यह घृणा नहीं मिलनी चाहिए।” टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट किया कि हेली ने एक घृणित यूजर को ट्रंप के दिवाली संदेश की ओर रेफर किया और कहा, “रोशनी, आशा और भलाई की शुभकामनाएं।”
अमेरिकी समाज में सवाल: क्या ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’ सभी के लिए?
यह विवाद तब और गहरा हो गया जब कनाडा और ब्रिटेन में भी इसी तरह की घृणा देखी गई। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के दिवाली पोस्ट पर भी नस्लीय टिप्पणियां आईं। एक्स पर एक यूजर ने लिखा, “तुलसी गबार्ड के कमेंट सेक्शन में केकके (KKK) की रीयूनियन लग रही थी।” एक अन्य ने कहा, “MAGA नाजी पॉडकास्टर ने लक्ष्मी मां को अपमानित किया।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यह ईसाई राष्ट्रवाद और आप्रवासन विरोधी भावनाओं का मिश्रण है। न्यू रिपब्लिक ने लिखा, “ट्रंप के आधार ने एक प्रमुख अधिकारी के साधारण पोस्ट पर नस्लवाद की बाढ़ ला दी।” लाइवमिंट ने कहा, “यह सांस्कृतिक और राजनीतिक तनावों को उजागर करता है, भले ही भारतीय मूल के नेता ऊंचे पदों पर पहुंच रहे हों।”
अमेरिकी हिंदू संगठनों ने इसकी निंदा की है और कहा है कि दिवाली, जो सिख, जैन और बौद्धों द्वारा भी मनाया जाता है, प्रकाश पर अंधकार की जीत का प्रतीक है। ट्रंप ने कहा, “हर अमेरिकी जो दिवाली मना रहा है, उसे शांति, समृद्धि, आशा और शांति मिले।” लेकिन उनके ही समर्थकों की घृणा प्रशासन के भीतर फूट दिखा रही है।
यह घटना अमेरिका में बहुलवाद की परीक्षा है। क्या ‘अमेरिका फर्स्ट’ का नारा सभी संस्कृतियों को समाहित करेगा, या यह नस्लवाद को बढ़ावा देगा? हिंदू अमेरिकी समुदाय आशा कर रहा है कि यह विवाद असहिष्णुता के खिलाफ एकजुटता लाएगा।

