गोपीचंद हिंदुजा, जिन्हें उद्योग जगत में ‘जीपी’ के नाम से जाना जाता था, मई 2023 में अपने बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के निधन के बाद ग्रुप के चेयरमैन बने थे। वे अपनी पत्नी सुनीता, दो बेटों संजय और धीरज तथा बेटी रीता को पीछे छोड़ गए हैं।
इस वर्ष की शुरुआत में द संडे टाइम्स रिच लिस्ट ने गोपीचंद हिंदुजा और उनके परिवार को ब्रिटेन का सबसे अमीर परिवार घोषित किया था। हिंदुजा ग्रुप यूके में हिंदुजा ऑटोमोटिव लिमिटेड के भी चेयरमैन थे।
प्रारंभिक जीवन और कारोबारी सफर
मुंबई के जय हिंद कॉलेज से 1959 में स्नातक गोपीचंद हिंदुजा ने उसी साल परिवार के कारोबार में कदम रखा। शुरू में यह व्यवसाय भारत-मध्य पूर्व व्यापार तक सीमित था, लेकिन उनके नेतृत्व में यह अरबों डॉलर का वैश्विक साम्राज्य बन गया।
उनके प्रमुख फैसलों में शामिल हैं:
• 1984 में गल्फ ऑयल का अधिग्रहण
• 1987 में अशोक लेलैंड की खरीदारी – यह भारत में पहला बड़ा एनआरआई निवेश था, जो आज देश की सबसे सफल कॉर्पोरेट कहानियों में से एक है।
जीपी ने ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में भी ग्रुप का विस्तार किया और भारत में बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन परियोजनाएँ शुरू कीं।
शैक्षणिक उपलब्धियाँ
• वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी से कानून की मानद डॉक्टरेट
• रिचमंड कॉलेज, लंदन से अर्थशास्त्र की मानद डॉक्टरेट
हिंदुजा ग्रुप का इतिहास
हिंदुजा ग्रुप की स्थापना परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने 1919 में सिंध (तब भारत, अब पाकिस्तान) से ईरान जाकर की थी। 1979 में मुख्यालय ईरान से लंदन स्थानांतरित हुआ। वर्तमान में मुंबई स्थित यह समूह निम्न क्षेत्रों में सक्रिय है:
• बैंकिंग और वित्त
• ऊर्जा
• मीडिया
• ट्रक और लुब्रिकेंट्स
• केबल टेलीविजन
विश्वभर में लगभग 2 लाख कर्मचारियों को रोजगार देने वाला यह समूह आज वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
गोपीचंद हिंदुजा का निधन भारतीय उद्योग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

