High Court Action: दिल्ली में काटे गए एक हजार से अधिक पेड़

High Court Action:
  • डीडीए उपाध्यक्ष और वन विभाग के प्रधान को अवमानना नोटिस

  • अदालत ने अधिकारियों को की कड़ी हिदायत

High Court Action: नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय के पास एक संपर्क सड़क के निर्माण के लिए दक्षिणी रिज भूमि समेत एक हजार से अधिक पेड़ों की कटाई के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने इस मामले में डीडीए उपाध्यक्ष और वन विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि अधिकारियों का आचरण अदालत के आदेश का उल्लंघन है।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण की जमीन पर दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय के पास एक संपर्क सड़क के निर्माण के लिए 400 पेड़ काटे गए हैं। यही नहीं वन भूमि पर भी कुल 700 वृक्षों की कटाई हुई है। इसके साथ ही अदालत ने दक्षिणी रिज भूमि सहित 1,000 से अधिक पेड़ों की कटाई पर डीडीए उपाध्यक्ष और वन विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने आदेश दिया कि डीडीए के उपाध्यक्ष और प्रमुख वन सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया जाए। दोनों ही एक हलफनामा दायर कर बताएं कि उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों न की जाए। इसके साथ ही अदालत ने अधिकारियों को कड़ी हिदायत भी दी। अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दक्षिणी रिज में और कोई पेड़ नहीं काटा जाए। अदालत वृक्ष अधिकारियों द्वारा आदेश पारित किए बिना पेड़ों की कटाई के लिए दी गई अनुमति के खिलाफ दाखिल एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
मामले में पेश वकील ने दावा किया कि पिछले महीने, दिल्ली सरकार ने संपर्क सड़क के निर्माण के लिए लगभग 4.9 हेक्टेयर भूमि को छूट देने की अधिसूचना जारी की थी। हालांकि अंतिम आदेश जारी होने से पहले ही डीडीए के अधिकारियों ने अनदेखी की। इससे दक्षिणी रिज जमीन पर लगभग 1,000 पेड़ काट दिए गए।
वकीलों ने यह भी कहा कि इस महीने की शुरूआत में सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों को गिराने या स्थानांतरित करने की अनुमति मांगने वाली डीडीए की अर्जी को खारिज कर दिया था। अर्जी खारिज होने के बावजूद पेड़ काटे गए। इस पर न्यायमूर्ति सिंह ने अधिकारियों को सख्त लहजे में कहा कि यदि आप कानून का पालन नहीं करते हैं और अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो जेल जाने के लिए तैयार रहें। डीडीए के वकील ने कहा- हमने पेड़ नहीं काटे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगने वाले आवेदन पर निर्णय नहीं आया था।

दिल्ली पुलिस कालकाजी मंदिर में जागरण के दौरान महिला की मौत की जांच में तेजी लाए: हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वो कालकाजी मंदिर में 27 जनवरी को जागरण के दौरान एक महिला की मौत की तेजी से जांच करे। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें।
आज सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि मंदिर का प्रशासन प्रशासक के अधीन है और 27 जनवरी को हुए आयोजन की अनुमति प्रशासक से नहीं ली गई थी। बतादें कि 20 फरवरी को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि दिल्ली के कालकाजी मंदिर में कोर्ट की ओर से नियुक्ति प्रशासक की अनुमति के कोई भी जागरण या धार्मिक आयोजन नहीं किए जा सकते हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि 27 जनवरी को सेवादार मित्र मंडल के दो सदस्यों ने कालकाजी मंदिर में जागरण का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में गीतकार बी. पारीक को बुलाया गया था। कोर्ट ने इस आयोजन के दौरान महिला की मौत पर नाखुशी जताते हुए कहा था कि मंदिर का पूरा प्रबंधन और नियंत्रण कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासक के अधीन होना चाहिए न कि किसी दूसरे व्यक्ति या सोसायटी के अधीन। कोर्ट ने साफ किया था कि मंदिर का महंत प्रशासनिक फैसले नहीं ले सकता है और वो मंदिर परिसर में किसी कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति नहीं दे सकता है। कोर्ट ने मंदिर के प्रशासक को निर्देश दिया कि वो मंदिर परिसर में भीड़ पर नियंत्रण को लेकर कदम उठाएं।

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