Heavy rain in the mountains News in hindi: आजकल पहाड़ों पर हो रही मूसलाधार बारिश और मैदानी इलाकों में बाढ़ ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। यह स्थिति न केवल प्राकृतिक आपदा हैए बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। अत्यधिक बारिश से अब तक काफी लोगों की जान जा चुकी है। खासतौर से पहाड़ी इलाको में, वैष्णो देवी में हुए हादसे में करीब 30 लोग की जान जा चुकी है। उसके अलावा उत्तराखंड में भी अचानक आई बाढ़ फिर करोड़ों का नुकसान हुआ और कई जान चली गई। हिमाचल प्रदेश में भी प्राकृति आपदा से जान और माल का नुकसान हुआ है। चलिए बताते है कि पहाड़ों में आपदा क्यों आ रही है।
पहाड़ों पर अत्यधिक वर्षा के कारण…
पहाड़ों पर अत्यधिक वर्षा के कारण:
- पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances): पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाली हवाएँ हैं, जो पहाड़ों से टकराकर भारी वर्षा का कारण बनती हैं। इस वर्ष, पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि देखी गई है, जिससे पहाड़ों पर सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है।
- मानसून का प्रभाव: मानसून के दौरान, बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएँ पहाड़ों से टकराकर संघनित होती हैं, जिससे भारी वर्षा होती है। इस वर्ष, मानसून की सक्रियता और पहाड़ों के करीब इसका ठहराव भी अत्यधिक वर्षा का एक कारण है।
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change): वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण, वायुमंडल में अधिक नमी धारण करने की क्षमता बढ़ गई है। इससे पहाड़ों पर वर्षा की तीव्रता और अवधि में वृद्धि हो रही है।
मैदानी इलाकों में बाढ़ के कारण:
- पहाड़ों से अत्यधिक जल प्रवाह: पहाड़ों पर भारी वर्षा के कारण नदियों में जल स्तर बढ़ जाता है, जिससे मैदानी इलाकों में बाढ़ आ जाती है।
- नदियों के मार्ग में अवरोध: मानवीय गतिविधियों, जैसे कि निर्माण कार्य और अतिक्रमण, के कारण नदियों के प्राकृतिक मार्ग में अवरोध उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे जल प्रवाह बाधित होता है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
- खराब जल निकासी व्यवस्था: मैदानी इलाकों में खराब जल निकासी व्यवस्था के कारण वर्षा का पानी जमा हो जाता है, जिससे बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो जाती है।
निष्कर्ष:
पहाड़ों पर अत्यधिक वर्षा और मैदानी इलाकों में बाढ़ एक जटिल समस्या है, जिसके पीछे कई वैज्ञानिक और मानवीय कारण हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए, हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने, नदियों के प्राकृतिक मार्गों को संरक्षित करने और जल निकासी व्यवस्था में सुधार करने की आवश्यकता है।

