Heart diseases : युवा भारतीयों को हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का अत्यधिक जोखिम : डॉ संजीव गेरा
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Heart diseases : युवा भारतीयों को हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का अत्यधिक जोखिम : डॉ संजीव गेरा

Heart diseases : नोएडा। कुछ समय पहले तक आम जन में यह धारणा थी कि हार्ट अटैक केवल बुजुर्गों को ही होते हैं, लेकिन अब 30 से 40 साल की उम्र के युवाओं में भी हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि दुनियाभर में हृदय रोगों को मौतों का महत्वपूर्ण कारण माना जाता है, लेकिन भारत में पिछले पांच वर्षों के दौरान यह मामले तेजी से बढ़े हैं। हार्ट अटैक और हृदय संबंधी अन्य रोगों में हुई बढ़ोतरी की बड़ी वजह हमारे तेज रफ्तार और व्यस्त लाइफस्टाइल को माना जा रहा है, जबकि इस तरह की जीवनशैली में अपने दिल की सेहत को संभालने के तौर-तरीकों से लोग अनजान हैं। हृदय के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के मकसद से फोर्टिस नोएडा में शुक्रवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में, फोर्टिस नोएडा के डॉक्टरों ने इस नए चौंकाने वाले रुझान के बारे में जानकारी दी और ऐसे मामलों की भी जानकारी दी जिनमें युवा मरीज अचानक हार्ट अटैक का शिकार बन चुके हैं।

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डॉ संजीव गेरा, डायरेक्टर कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहा कि ”हम हर महीने 15 से 20 युवा हृदय रोगियों का इलाज कर रहे हैं। हाल में ऐसे 3 युवा हृदय रोगियों का इलाज किया गया जिनकी उम्र 30 से 40 साल के बीच थी और तीनों ने सीने में दर्द की शिकायत की थी, अस्पताल पहुंचने के 1 घंटे के भीतर उनकी पूरी जांच के बाद तत्काल इलाज किया गया। मरीजों ने इलाज में अच्छा रिस्पॉन्स दिया और आज वे एक सामान्य जीवन बिता रहे हैं। युवाओं में, सेडेन्ट्री लाइफस्टाइल, जंक फूड का बढ़ता चलन, शराब और तंबाकू का सेवन हृदय रोगों का कारण बन रहा है।”
फोर्टिस नोएडा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन मरीजों ने भी हिस्सा लिया जो अचानक हार्ट अटैक का शिकार हुए थे, और जिनका फोर्टिस नोएडा अस्पताल में उपचार किया गया।

पहला केस

पहला मामला 21 साल के युवक का था, वह 2 दिनों तक सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल आए थे। अस्पताल में भर्ती करने बाद उनकी जांच की गई और पाया गया कि उनकी बायीं एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी (एलएडी) में एक ब्लड क्लॉट (खून का थक्का) है, एलएडी हृदय की सबसे बड़ी धमनी है और इसमें रुकावट के कारण गंभीर हार्ट अटैक होते हैं। मरीज को एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के अनुरूप इलाज दिया गया और अब वह स्वस्थ हैं।

दूसरा केस

एक अन्य 42 वर्षीय मरीज का था, वह 2 से 3 घंटों तक सीने में दर्द महसूस होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे। जांच के दौरान पाया गया कि उनकी धमनियों में 90 फीसदी ब्लॉकेज थी जिसकी वजह से उनका हृदय सामान्य क्षमता से कम यानि 40-45 फीसदी ही काम कर रहा था। कोरोनरी एंजियोग्राफी में डबल वैसल डिजीज की पुष्टि हुई। यह एक प्रकार का कोरोनरी आर्टरी रोग है। जिसमें तीन प्रमुख हृदय धमनियां संकुचित या अवरुद्ध हो जाती हैं। उनकी बायीं एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी (एलएडी) तथा दांयी कोरोनरी आर्टरी (आरसीए) में एंजियोप्लास्टी और ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट डालकर स्टेंटिंग की गई। मरीज को स्थिर होने पर तथा नॉर्मल हार्ट फंक्शन के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

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तीसरा केस
तीसरा मामलर एक 43 साल के एक मरीज का था। जिनके सीने में लगातार 7-8 दिनों से दर्द था। अस्पताल में जांच के दौरान कोरोनरी एंजियोग्राफी की गई जिससे खुसा हुआ कि उनके हृदय की धमनी ब्लॉक हो चुकी थी। इस धमनी को खोलने के लिए पीटीसीए (एंजियोप्लास्टी और स्टेंट) का उपयोग किया गया। जिससे उनके हृदय की मांसपेश्यिों को होने वाले रक्त प्रवाह में काफी सुधार हुआ। मरीज को इस उपचार से काफी फायदा मिला और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

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