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हरियाणा की शराब नीति से सरकार मालामाल,बढा राजस्व
पिछले पांच वर्षों में आबकारी राजस्व में लगभग दो गुना वृद्धि के साथ, हरियाणा की आबकारी नीतियों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली सरकार ने मामूली साधनों वाले नए प्लेयर्स के प्रवेश को सुविधाजनक बनाकर, खुदरा दुकानों के आवंटन की पारदर्शी प्रणाली स्थापित करके तथा लीकेज को रोककर दीर्घकालिक उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया है।
इतना ही नहीं, सरकार अब आबकारी नीति- 2022-23 के सफल कार्यान्वयन के साथ 10,000 करोड़ रुपये के बेंचमार्क को पार करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। गौरतलब है कि पिछले दो वर्षों में जिस लाइसेंस फीस पर फुटकर दुकानें आवंटित की गई थी, उसकी शत-प्रतिशत वसूली राज्य सरकार द्वारा की जा चुकी है। जैसा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की परिकल्पना थी, आबकारी राजस्व से अर्जित राज्य के राजस्व का एक-एक पैसा लोक कल्याण और विकासात्मक योजनाओं के लिए उपयोग किया गया है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जिस नई आबकारी नीति- 2023-24 को अनुमोदित किया गया है, वह उन संसाधनों को उत्पन्न करने की सुविधा भी देती है, जिनका उपयोग विकासात्मक परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है। पर्यावरण के अनुकूल उपाय के रूप में, नई नीति का उद्देश्य 29 फरवरी, 2024 के बाद शराब की बोतल में पीईटी बोतलों के उपयोग को बंद करना है। इसके साथ ही 400 करोड़ रुपए के लक्षित संग्रह के साथ खुदरा परमिट शुल्क लगाया गया है। इस राशि का उपयोग पर्यावरण और पशु कल्याण के लिए किया जाएगा।
पर्यावरण रक्षा और पशु कल्याण (गौ सेवा) के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए नई नीति में खुदरा परमिट शुल्क लगाया गया है, जिसका लक्ष्य 400 करोड़ रुपये संग्रह करना है। इस राशि का उपयोग पर्यावरण एवं पशु कल्याण के लिए किया जाएगा।
नई नीति में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए जिला स्तर पर आईएफएल (बीआईओ) के लेबल का भी नवीनीकरण किया जाएगा। साथ ही, एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए छोटी (क्राफ्ट) ब्रेवरीज की लाइसेंस फीस कम की गई है। राज्य में वाइनरी को बढ़ावा देने के लिए वाइनरी की सुपरवाइजरी फीस में कमी की गई है।
‘राज्य में खुदरा शराब के ठेकों की अधिकतम संख्या की सीमा घटी’
नई आबकारी नीति में राज्य में खुदरा शराब के ठेकों की अधिकतम संख्या की सीमा को क्रमशः 2022-23 में 2600 से घटाकर 2500 तथा 2023-24 में 2500 से 2400 कर दिया गया है।
इसी के साथ लोक कल्याण की दृष्टि से एक और बड़ा फैसला लेते हुए यह निर्णय लिया गया है कि पंचकूला में श्री माता मनसा देवी मंदिर के आस-पास अधिसूचित पवित्र क्षेत्रों तथा जिन गांवों में गुरुकुल चल रहे हैं, वहां शराब के ठेके नहीं खोले जाएंगे।
वर्तमान नीति में, अधिक से अधिक प्रतिभागियों को ई-निविदा के माध्यम से शराब की दुकान के लाइसेंस के लिए आवेदन करने की अनुमति देने के लिए खुदरा शराब बिक्री जोन का आकार भी चार से घटाकर दो कर दिया गया है।
‘देशी शराब के मूल कोटे में वृद्धि’
नई नीति में देशी शराब, भारत में बनी विदेशी शराब और आयातित विदेशी शराब (बीआईओ) के मूल कोटे में बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही देशी शराब और आईएमएफएल पर उत्पाद शुल्क की दरों में भी मामूली वृद्धि की गई है।
अल्कोहल की कम मात्रा वाले पेय पदार्थों को बढ़ावा देने के लिए रेडी टू ड्रिंक बेवरेजेज और बीयर पर माइल्ड और सुपर माइल्ड कैटेगरी के तहत एक्साइज ड्यूटी घटा दी गई है। इसके अलावा, पब कैटेगरी (एल-10ई) यानी केवल बीयर और वाइन के उपभोग के लिए लाइसेंस शुल्क को और कम कर दिया गया है।
‘जुर्माने के प्रावधान सख्त’
थोक लाइसेंसधारियों द्वारा शराब की चोरी पर अंकुश लगाने के लिए जुर्माने के प्रावधान कड़े किए गए हैं और लाइसेंसधारक द्वारा सोशल मीडिया सहित विभिन्न प्लेटफॉर्म पर शराब प्रचार के विज्ञापनों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
‘बार व पब के बाहर लगेंगे सावधानी बोर्ड’
आबकारी लाइसेंस के तहत शराब परोसने वाले सभी होटलों, पब और बार, रेस्तरां और कैफे के बाहर सावधानी बोर्ड प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके अलावा, कर्मचारियों और ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, शहरी क्षेत्रों, सराय और थोक लाइसेंसधारियों के लिए भी सभी खुदरा विक्रेताओं के लिए अग्निशमन उपकरण स्थापित करना अनिवार्य होगा। उपरोक्त सभी दुकानों/गोदामों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे।