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Haryana News:एमएसपी कानून बनाने का वायदा निभाए सरकार: कुमारी सैलजा
Haryana News: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द एमएसपी को लेकर कानून बनाने के अपने वायदे को पूरा करे। तीन काले कृषि कानूनों को रद्द हुए दो साल बीत चुके हैं, लेकिन इस दौरान एमएसपी कमेटी की एक बार भी बैठक न होना भाजपा और केंद्र सरकार के चरित्र को दर्शाने के लिए काफी है। केंद्र सरकार को आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 714 किसानों को शहीद का दर्ज देकर उनके परिवारों के कल्याण की सुध भी लेनी चाहिए।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि पूंजीपति मित्रों के दबाव में भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने किसानों पर तीन काले कृषि कानून जबरन थोपने का षड्यंत्र रचा। किसानों ने जब इनका विरोध शुरू किया तो उन्हें आतंकवादी और देशद्रोही तक कहा गया। यह किसानों का संघर्ष ही था, जो लगातार शहादत होती रही और इसके बावजूद उन्होंने लंबा आंदोलन चलाया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 714 किसानों की आंदोलन के दौरान जान चली जाना इस बात का सबूत है कि उनके खिलाफ इन कानूनों के जरिए कितनी गहरी साजिश रची जा रही थी।
आखिरकार दिल्ली के चारों ओर सडको पर सर्दी, गर्मी, बारिश, तूफान में डटे रहे किसानों के आगे केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और तीनों काले कृषि कानून रद्द करने पड़े। इस दौरान जिस तरह के वायदे केंद्र सरकार ने किए थे, उन्हें आज तक पूरा नहीं किया गया।
कुमारी सैलजा ने कहा कि जान गंवाने वाले 714 किसानों को शहीद का दर्जा देते हुए उनके परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए, ताकि उनके परिजन सही से गुजर बसर कर सकें। एमएसपी पर अब भी पहले जैसी ही स्थिति है। केंद्र सरकार ने एमएसपी पर जो कमेटी बनाई, उसमें किसान संगठनों को जगह नहीं दी है। न ही इस कमेटी की आज तक कोई बैठक हुई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस कमेटी में तुरंत प्रभाव से किसान संगठनों को शामिल करते हुए जल्द से जल्द बैठक बुलाई जाए और एमएसपी पर सी-2+50 वृद्धि का फॉर्मूला लागू किया जाए। जितनी भी एफआईआर किसानों के खिलाफ दर्ज की गई, उन सभी को निरस्त किया जाए। कुमारी सैलजा ने कहा कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले कई किसानों के परिवारों के सामने तो आज बेहद विकट परिस्थितियां खड़ी हैं। उनके सामने रोजी-रोटी तक का संकट बना हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार को अपनी संवेदना जगाते हुए इनकी सुध लेने के कदम तुरंत उठाने चाहिए।